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________________ Gatha-muktavali 153. [लघुतया कि तव अस्याः किं वा दले: तलिनैः । आमोदे मधुकर मालत्या: ज्ञास्यसि माहात्म्यम् ॥] 10. अहिणव-महु-लव-भावि तह परिचुबिअ चूद-मजरि । कमल वसहि-मित्त-णिव्युदा महुअर विसुमरिदा सि ण कह॥ (VI 16) [अभिनव-मधु-लव-भावितां तथा परिचुम्ब्य चूत-मञ्जरीम् । कमल-वसति-मात्र निर्वृ तो मधुकर विस्मृतोऽसि तां कथम् ॥ 11. एक्कु च्चिअ दुव्विसहा विरही मारेइ गई भीमा । . कि पुण गहिअ-सिलीमुह-समाहवे फग्गुणे पत्ते ॥ (XI II) [एक एव दुर्विषदो विरहो (विरथा) मारयति गत-पतिका: (गज-पतीन् ) मीमः । कि पुनः हीत-शिलीमुख-समाधवे फाल्गुने प्राप्ते ॥ ] 12. डहिऊण णिरवसेस ससावा सुक्क-रुक्खभारूढा । कि सेस ति दवग्गी पुणो वि रण पुलोवेइ ॥ (XII 7) [दग्ध्वा निरवशेष स-वापद शुष्क-वृक्षमारुढ: । कि शेषमिति दवाग्नि: पुनरपि अरण्य प्रलेोकयति ॥ ] 13. इसि (ईसीसि) चुबिआई भसलेहि सुकुमार-केसर-सिहाई। आदसति दसमाणा पमदाओ सिरोस-कुसुभाई ॥ (XII 12) [ईषदीषच्चुम्बितानि भ्रमरैः सुकुमार-केशर-शिखानि । अवत'सयन्ति दयमानाः प्रमदाः शिरीष-कुसुमानि ॥] 14. चंद-णिमिएक्क-चलणा णह-भमिर-मराल-णिमिअ-बीअ-पआ । कमल-वण-दिण्ण-हत्था सरअ-सिरी भुवणमोअरइ ।। (XIV ) [चन्द्र-न्यस्तक-चरणा कमल-वन-दत्त-हस्ता नभोभ्रमन्मराल-न्यस्त-द्वितीय-पदा । शरच्छ वनमवतरति ॥]
SR No.022756
Book TitleIndological Studies
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani
PublisherParshva Prakashan
Publication Year1993
Total Pages376
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size25 MB
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