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________________ ... . P4 नदी को तरह इठलाती हुई शीघ्र ही समुद्र के किनारे पहुँच गई । सेना को विश्राम करने की आज्ञा प्रदान करके उन्होंने अपने गुप्तचरों द्वरा उन दोनों शत्रुओं का पता लगवाया और ससैन्य उन्हें जा घेरा। ____ मोर्चे लग गये। युद्ध के नगाड़े बज उठे। दोनों सेनायें. समर भूमि में आमने सामने आ डटी । दोनों ओर से तीरों की बोडार होने लगी । तलवार चमक उठी । बर्के और भालों की चमक से सांग रणस्थल चमचमाने लगा। इधर महाराज भी प्रधान शत्रुओं के साथ भयंकर रूप से जा भिड़े। रणचण्डी के खप्पर भरे जाने लगे। भाले वाले भाले वालों से, तलवार वाले तलवार वालों से, गदाधारी गदाधारियों से जुथ गये । रथी रथियों से सामन्तों से सामन्त, घुड़सवारों से घुडसवार, हाथीचों से हाथीचढे दिल खोल कर बडी बहादुरी के साथ लडने लगे। दुश्मन चोरों नामकई के मैदान में से सुखर का 4 दिखलाये कि महाराज की सेना में एक बारंगी भारो मामा मच गई। परम्सुम्हाथी पर सवार तीनोविनय बादि राजकुमारों ने अपनी औजस्लिी गयारी में भानी सेना का साहत बहाकर फिर से शो परा बोल दिया । इस बार शत्रुओं की सेना राजकुमारी 'PATH
SR No.022727
Book TitleShreechandra Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinharisagarsuri Jain Gyanbhandar
Publication Year1952
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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