SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 476
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ४५६ ) प्रेमकलादेवी के साथ महाराजा प्रतापसिंह ने उसका विवाह बड़ी धूमधाम से किया । इस प्रकार संपन्न परिवार के साथ महाराजा सुखपूर्वक विराजमान थे । । एक दिन वनपालक ने बधाई दी कि आज महाज्ञानी श्रीसुव्रत आचार्य महाराज पधारे हैं। महाराजा अपने पुत्र पौत्रों और अन्तःपुर की रानियों के साथ गुरुवंदना के लिये पधारे - गुरुमहाराज श्री सुव्रत आचार्य ने धर्मलाभ के साथ सुधा - मधुर वाणी में वीतराग धर्म का विशिष्ट स्वरूप धर्म देशना में फरमाया । महात्रत रूप सर्वविरति साधु धर्म और अणुव्रत रूप देशविरति गृहस्थ धर्म की सुन्दर व्याख्या की । श्रीसुत्रतमहाराज की देशना से प्रभावित हो महाराज प्रतापसिंह महारानी— सूर्यवती नगरसेठ लक्ष्मीदत्त सेठानी लक्ष्मीवती मंत्री मतिराज आदि प्रबुद्ध हुए । परिवार की आज्ञा से संवत्सर - दान देते हुए शासन प्रभावना करते हुए बडे ठाठ से उन सब ने दीक्षा ली । कइयोंने सम्यक्त्व ग्रहण किया । - अपनी २ शक्ति के अनुसार सब ने कुछ न कुछ व्रत ग्रहण किया । श्रीचन्द्र ने अपनी रानियों के साथ गृहस्थधर्म स्वीकार किया । श्रीसुव्रताचार्य महाराज को एवं +
SR No.022727
Book TitleShreechandra Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinharisagarsuri Jain Gyanbhandar
Publication Year1952
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy