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________________ ( ४५१ ) लगीं । कवि, बन्दि, चारण, भाट आदि लोग उनकी यशोगाथायें गाने लगे। सवारी राजमार्ग को शनैः शनः पार करती हुई दुर्ग के सिंह-द्वार पर जा पहूँची। मार्ग में लोंगो ने फूल वर्षाये । कन्याओं ने पीले चावल उछाले राज मार्ग फूलों से पट गये। स्थान २ पर सधवास्त्रियों ने सच्चे मोतियों के स्वस्तिकों से बधा २ कर कुमार का स्वागत किया। ___दरबार में पहुंच कर कुमार ने कवियों, चारणों, विद्वानों को मनचाहा दान दिया। दरवारियों ने नागरिकोंने अपने कुमार की भेटें की । महाराज प्रतापसिंह और महारानी सूर्यवती के सौभाग्य में चार चांद लग गये। महाराजा प्रतापसिंह रत्नजटित स्वर्णसिंहासन पर जा बिराजे । श्रीचन्द्रराज भी उन्हीं के श्रीचरणों में सिंहासनासीन हुए। उस समय विद्याधर-राजाओं से, राजाओं से और दरबारियों से विराजित वह राज-सभा इंद्रसभा का तिरस्कार कर रही थी। ___ उसी समय कुण्डिनपुर के राजा अरिमर्दन एक बंदरिया को लेकर वहां आये । राजा के साथ बंदरी को देख सारी सभा चकित हो गई १ सजा अरिमर्दन ने बड़े विनीत भाव से कहना शुरु किया कि
SR No.022727
Book TitleShreechandra Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinharisagarsuri Jain Gyanbhandar
Publication Year1952
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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