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________________ और अज्ञान उसके पास तक नहीं फटकते । कभी कहीं पर भी उसकी पराजय नहीं होती । उसके लिये कुछ भी दुष्प्राप्य नहीं होता । अतः अपने मनोरथों को पूर्ण करनेके लिये मनुष्यों को चाहिये, कि अपनी सामर्थ्यानुसार तप करें। ' तपस्या से सभी प्राणियों को सब प्रकार की सम्पत्तियां मिलती हैं । सर्वत्र उनका आदर होता है, और अन्त में वे मोक्ष को प्राप्त होते हैं । देखो! श्रीचन्द्र को तपस्या के प्रभाव से कैसा अलौकिक लाभ हुआ, श्री चन्द्र के विषय में श्रोताओं के पूछने पर उन्होंने उसके चरित्र की कुछ मोटी मोटी बातों पर प्रकाश डालते हुए कहना शुरु किया । ___भरत क्षेत्र में कुशस्थल नामका एक बड़ा रमणीय नगर है । वहां पर प्रतापसिंह नामके एक प्रसिद्ध क्षत्रिय राजा राज्य करते हैं। उनकी महारानी सूर्यवती के गर्भ से श्रीचन्द्र का जन्म हुआ है । उसकी माता ने अपने सौतेले पुत्रों के भय से अपने उस नव जात शिशु श्रीचंद्रको राजकीय उद्यान में एक शुष्कपुष्पपुज के भीतर छिपा कर त्याग दिया था। कुल देवी का आदेश पाकर लक्ष्मीदत्त नाम का एक सठ उद्यान में जाकर आभूषण
SR No.022727
Book TitleShreechandra Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinharisagarsuri Jain Gyanbhandar
Publication Year1952
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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