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________________ नर कल्याण को प्राप्त करता है । मर कर अन्धकार के गहरे गर्त में चला जाता है। दूसरी ओर शहर कोतवाल द्वारा गिरफ्तार किया हुआ व्यक्ति रस्सियों से बंधा हुओं खड़ा है। कुमार रथ से उतर पड़े । पास खड़े प्रधान से उनने पूंछा माई क्या बात है ? उसने कहा महाभाग ! इस नगरी का नाम रूद्रपल्ली है । ये सामने खड़े हैं के यहाँ के नरेश हैं । पास ही उनकी महारानी क्षेमवती खड़ी हैं। यह उन्हीं की राजकन्या दुर्बल और दुःखी हंसावली है। इसके आगे वह कुछ कह ही रहा था कि-राजा की दृष्टि रथ पर पड़ी । इतना सुन्दर रथ, और ऐसे प्रभावशाली कुमार को देखकर राजा को बड़ा भारी विस्मय हुआ । उनने मन्त्रियों को एवं प्रतिष्ठित. नागरिकों को कुमार के पास भेजा। वे सब कुमार के पास पहुँचते हैं इतने में वहां आये हुए हरि बारहट के भाई अंगद भट्ट की दृष्टि कुमार पर पड़ी । वह बोल उठा कणग उभयस्स रज्जं, पुतिं कणगाउली च कणगरे । बिलसइ सुरदिन्न जो, नव लक्खवईस सिरिचंदो ।' सिरिपत्रयग्गसिहरे, चंदप्पह-जिएस्स चेइयं जैण। कारवियं चउदारं, रम्म सो जयउ सिरिचंदो ॥
SR No.022727
Book TitleShreechandra Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinharisagarsuri Jain Gyanbhandar
Publication Year1952
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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