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________________ ...... .. उन कन्याओं ने आश्चर्य के साथ देखा कि अरे ! यह तो कोई अजनबी आदमी से हमारा ब्याह हो गया। हमारा पूर्व संकेतित मंत्रि-पुत्र श्रीदत्त का तो यहां पता भी नहीं । उन्होने पूछा अजी ! आप कौन हैं ? तब कुमारने कहा में कुशस्थल से आया हूँ, तुम कौन हो ? तुम यहां से अन्यत्र क्यों चलना चाहती हो ? कुमार के ऐसा पूछने पर उनमें से एकने कहा हे आर्य ! इस नगर के स्वामी राजा अरिमर्दन की ये राजकुमारी हैं। ये सदा यक्ष की पूजा करती हैं एक समय गोद में बैठी हुई राजकुमारी को देख राजाने अपने मंत्रियों से पूछा कि बताओ ! इसके योग्य-वर कौन हो' सकता है ? इसी प्रसंग में किसी बंदिने कहा ___कुशस्थल नरेश महाराज प्रतापसिंह के कुमार श्रीचंद्र जो परिस्थिति के वश एक सेठ के घर बडे हुए हैं, वे बड़े त्यागी और अति-योग्य हैं, । पर वे अभी अपने पालक पिता सेठ लक्ष्मीदत्तसे नाराज हो कर विदेश-यात्रा कर रहे हैं। अगर वे राज कुमारी के पति हों तो सोने में सुगंध हो जाय । यह सुन राजा तो चुप हो गये। पर राजकन्या सरस्वतीजी इसी उधेड़ बुन में अपने इष्ट यक्ष की मनौती करने लगीं। एक समय रात्री में यक्ष ने कहा,
SR No.022727
Book TitleShreechandra Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinharisagarsuri Jain Gyanbhandar
Publication Year1952
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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