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________________ ( ३५६ ) हुए विजया-देवी के मंदिर के पास जा पहुँचे । पहिले उनने थकावट उतारने को तालाव के स्वच्छ जल में स्नान किया। जल-विहार से थकान को मिटाकर । देवी के दर्शन किये । सदाफल नाम के उपवन में से भील ने समित्र कुमार के खाने के लिये अमृत के समान मीठे २ श्राम, अनार, केले, दाख, सेव, संतरे लाकर उपस्थित किये । मुखवास के लिये इलायची, लौंग, सुपारी जायफल, जावत्री आदि लाया। श्रृंगार के लिये कमल. चंपा, केवड़ा, चमेली, गुलाब, जुई, साटा, मोगरा आदि के फूलों का टोकरा भर कर सामने रखा । कुछ फूलों के हार-गजरे बने और कुछ योंही सूघने को रखे गये। भील की सहायता से भलीभांति पहाड़ का परिभ्रमण करके कुमार ने प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि-अवसर आने पर अधिष्ठात्री देवी के आदेश से यहां एक नगर बसाउंमा । जिन-भवन का भी निर्माण कराउगा । बाद में भील को समयोचित हितोपदेश देकर कुमार अपने मित्र के साथ आगे के लिये अपने घोड़ों पर रवाना नों सवार कष्टों की परवाह न करते हुए अपने घोड़ों को सरपट दौड़ाये जा रहे थे। उनके और घोड़ों के शरीर पसीने से तर हो गये थे। आखिर जानवर
SR No.022727
Book TitleShreechandra Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinharisagarsuri Jain Gyanbhandar
Publication Year1952
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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