SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 370
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ३५० देव कुमार ने उनकी बढ़िया माला गूंथ कर वापस कर दी। ८.. गुणचन्द्र यह सारी लीला देखता ही रह गया । उसने कुमार से पूछा मित्र ! ये क्या बातें हुई १ । कुमार कहा सुनो-कुमारी ने हमें यह सूचित किया कि यह नगर पहिले से ही श्रेष्ठ पुरुषों से भरा हुआ है फिर आप यहां कैसे समा सकोगे ? मैने समझा दिया कि गुठी में रश्न के जैसे हमें भी यहां स्थान मिल ही जायगा । फूल भेजने का मतलब यह था कि- फूलों की तरह हम अकेली हैं । उसका उत्तर मैने दिया माला की तरह तुम भी सगुण और वांछित पुरुष वाली हो जाओगी । इधर राज कुमारी ने अपने भावों को जानने वाले सुन्दर स्वरूप वाले पूर्व जन्म से अभिलषित कुमार श्रीचन्द्र को मन ही मन वरण कर लिया। मंत्री पुत्री ने गुणचन्द्र को अपना स्वामी बना लिया। दोनों कन्याओंने अपने घरवालों से अपने भाव सूचित कर दिये । उधर उस भीलनी ने बीखापुर के राजा को सुवर्ण- घट देकर -- अपने पति को छुडा लिया। भीलने पूछा यह सुवर्ण-पत्र तुझे कैसे मिला तो उसने सारा हाल कह सुनाया । भील अपनी कृतज्ञता प्रकट करने के लिये कुमार T
SR No.022727
Book TitleShreechandra Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinharisagarsuri Jain Gyanbhandar
Publication Year1952
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy