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________________ ( ३२५ ) बोली, “ सखियों ! यह बार बार मेरा अपमान करती है इसलिये महल की छत से इसको रस्सी से लटका कर छोड़ दो।" बस हुक्म की देर थी । सखियों ने फौरन उसको रस्सी से बाँध कर छत से नीचे लटका दिया, और . उसे छोड़ दिया। . । बेचारी मालिन ने फिर अपनी दुःख भरी कहानी कुमार से कह सुनाई और कहा कि बस मैं जीवित लौट आई इसी में मैं अपना अहो भाग्य समझती हूँ । मालिन के वचन सुन कर मित्र ने राजकुमार को समझाया कि आप शीघ्रता मत कीजियें, आपके काम में अभी विलम्ब है। लाल कुकम की चार अंगुलियों के निशान जो इस की गर्दन पर मौजूद हैं वे इस बात के द्योतक हैं कि अभी वह राजकुमारी रजस्वला है, और उसने चार दिन और प्रतीक्षा करने का संकेत किया है । रस्सी का प्रयोग करके तुम्हें भी रस्सी द्वारा ऊपर आने का संकेत किया है। अतः हम नवमी की रात को उसी मार्ग से चलेंगे। . ... राजकुमार ने वे चार दिन प्रिया-मिलन की उत्कण्ठा में किसी तरह बिताये । आखिर नवमी आ पहुँची । रात्रि में राजकुमार संकेत स्थान पर जा कर खड़ा होगया। उसको वहाँ बैसी हालत में आया देख राजकुमारी बड़ी प्रसन्न
SR No.022727
Book TitleShreechandra Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinharisagarsuri Jain Gyanbhandar
Publication Year1952
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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