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________________ सुनाई दी। पक्षियों के स्वर को जानने वाले कलाविद् ने उसी समय विनय के साथ निवेदन किया महाराज ! आप । को निकट भविष्य में भारी प्रिय लाभ होने वाला है। कलाविद् की बात को सुनकर महाराज प्रतापसिंह अत्यन्त प्रसन्न हुए । __ इसी समय दीपशिखा के स्वामी राजा दीपचन्द्र देव अपने मुख्य सामन्तों और मन्त्रियों को साथ लेकर वहां स्वागत के लिये आ पहुँचे । महाराजा का अभिवादन करते हुए बड़े नम् शब्दों में अभिनंदन किया और कहने लगे ___ हे देव ! आज आपके शुभागमन से हमारा देश पवित्र होगया है। हमारी चिरसंचित अभिलाषायें आज पूर्ण होगई हैं । आपकी उज्ज्वल कीर्ति कथा से हमारे कान तो पवित्र थे ही, पर आज आपके पुनीत दर्शनों से हमारी आंखें भी कृतार्थता का अनुभव करने लगी हैं। आप जैसे अतिथि का स्वागत करते हुए हम अपना अहोभाग्य समझते हैं। महाराज आइये हम लोगों पर कृपा करके अपने पदार्पण से दीपशिखा को पवित्र बनाइये। राजा दीपचन्द्र देव की विनीत प्रार्थना को सुनकर
SR No.022727
Book TitleShreechandra Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinharisagarsuri Jain Gyanbhandar
Publication Year1952
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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