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________________ थे। इतने में पढिया बाजों की प्राकाम उनकी सुमाई दी। बाजे इतने जोर से बज रहे थे कि उनकी आवाज सारे शहर में भर गई थी। लोगों के झुड के झुड देखने के लिये इक हो रहे थे। चारों ओर से याचकों और पुरवासियों के मुंह से प्रशंसात्मक वचन निकल रहे थे। कोई राजकन्या अपने राजकीय चिन्हों के साथ वधू वेश में सवारी के साथ पालखी में विराजमान थी। उसे देखकर लोग कहने लगे यह कौन है ? ये कहां जायेंगी ? । सवारी के प्रबंधक रूपमें श्रीचन्द्रकुमार का दोस्त गुणचन्द्र कुमार भी साथ चल रहा था । उन्हें लोग पूछना चाहते थे-इतने में वह सवारी लक्ष्मीदत्त सेठ के विशाल भवन के सामने प्राकर रुक गई। ... सेठ पाजों की आवाज से कुतूहल प्रेरित हो-म्या बात है ? कहते हुए हरपला कर घर से बाहर निकले। अपने घर को ही लक्ष्य बनाये हुए सैनिकों को देखकर सेठ कुछ डर से गये। सेठ की उस स्थिति को जानता हुआ गुणचन्द्र पास में आकर नमस्कार पूर्वक करने लगा। पिताजी ! सिंहपुर के राजा सुभगांग की राजकुमारी राजा दीपचन्द्र देवकी दौहित्री चन्द्रकला नाम की यह आपकी पुत्रवधू है। अभी दो दिन पहले ही शो कुमार
SR No.022727
Book TitleShreechandra Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinharisagarsuri Jain Gyanbhandar
Publication Year1952
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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