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________________ (१४० ) चन्द्रकला किसी राज राजेश्वर की राजमहिषी-पटराणी होगी"। पद्मिनी चन्द्रकला माता-भाई आदि के साथ इस समय यहां रह रही हैं । इनके नानाजी ने व पिताजी ने विवाह योग्य सारी तैयारियाँ कर ली हैं। केवल वरकी प्रतीक्षा में दिन बीत रहे हैं। . धोबी के ऐसे बचन सुनकर रथको वहीं छोड कुमार अपने मित्र के साथ उस नगरी को देखने के लिये चला। तालाब के एक ओर उसने बड़े २ तम्बू गड़े देखे। पास खड़े एक व्यक्ति को उसने पूछा कि यह किसका पड़ाव है ? उस व्यक्ति ने कहा-'महानुभाव ! तिलकपुर के प्रधान मंत्री'धीर' अपने स्वामी तिलक नरेश की आज्ञा से दलबल के साथ कुशस्थल की ओर जारहे हैं। विश्राम के लिये .यहां ठहरे हैं। इस समय मंत्रीराज यहां की राज-सभा में अपने 'वीणारव' नाम के गायक के साथ गये हुए हैं। इस प्रकार सुनकर कुमार मित्र के साथ आगे बढे । मित्र ने कहा सखे ! लो आपके तो एक और निमंत्रण प्रा पहुँचा मालुम देता है। इस तरह वे दोनों परस्पर में बातें करते हुए मार्गमें आये हुप उद्यान को देखने के लिये अन्दर प्रविष्ट हुए । उनके देवोपम सौंदर्य से आकृष्ट
SR No.022727
Book TitleShreechandra Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinharisagarsuri Jain Gyanbhandar
Publication Year1952
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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