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________________ ( १३० ) खाने से मंत्रीपद को प्राप्ति होती है। ऐसा कह उस शुक युगल ने उडकर कहीं से दो बीजोरे के फल वहां लाकर कुमार के सामने रख दिये और उडकर कहीं अन्यत्र चला गया । गुणचन्द्र ने उठाकर उन फलों को अपने पास रखलिया। राजकुमार के जगने पर-मतिमान् गुणचन्द्र ने उन दोनों फलों को उसके सामने रखकर बडी प्रसन्नता से शुकयुगल का वृत्तान्त कह सुनाया । कुमार ने कुशल मनाते हुए उन फलों को सुरक्षित रखने का कह सारथि से रथ जुडवा कर मुसाफरी शुरु की । चलते २ वे एक बड़े तालाब के किनारे पहुंचे । प्रातःकाल होगया था। सबने वहां रुक कर प्रातःकालीन कृत्य किये । यहीं पर मित्र द्वारा दिये राजयोग कारक पहले बीजोरा फल को कुमार ने खाया। मंत्री पद कारक दूसरे बीजोरा फल को गुणचन्द्र और सारथि-दोनों मित्रों में बांट दिया । . • भोजन कार्य से निपट कर कुमार मित्र के साथ उस "सुन्दर वन को देखने के लिये इधर उधर घूमते२ वहां शान्त स्वरूप दयालु जितेन्द्रिय और संयम साधना में रमण करनेवाले श्रीसुव्रत नाम के एक मुनीश्वर को देखा। . साधुओं का दर्शन पुण्यकारी होता है । साधु जंगमचलते फिरते तीर्थ रूप होते हैं। दूसरे तीर्थ तो समय पर
SR No.022727
Book TitleShreechandra Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinharisagarsuri Jain Gyanbhandar
Publication Year1952
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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