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________________ ( १०७ ) • किराह और श्याम रंग का खुगाह जाती का है। घी की कांति के समान सुन्दर यह सराह जाती का, और यह कबरे रंगवाला हलाह जाती का घोडा है । यह सब घोडों में श्र ेष्ठ उराह जाती का अश्व है । हल्के पीले रंग का और काले घुटनों वाला यह बडा ही वेगवान कुलाह जाती का है । कुछ लाल कुछ पीला काले घुटनोंवाला यह रोकहै । यह हो, और यह हरिक जाती का घोडा है । ये दोनों पंचभद्री जाती के अश्व हैं । ये सबसे अधिक वेगबान हैं । इनके हृदय मुंह और बाजुओं में भँवर पडते हैं । ये दोनों सुंदर लक्षणों से संपन्न हैं । दीखने में पतले दुबले दीखनेवाले ये घोड़े लाख लाख देने पर भी मिलने मुश्किल हैं। | इतने में वहां कई राजकुमार और राजवर्गी लोग आते हैं, और अपनी २ पसंद के कोई पचास, कोई सित्तर, और कोई पिचहत्तर हजार रुपया दे देकर घोडे ले जाते हैं । श्रीचंद्रकुमार भी वायुवेग और महावेग नाम के पंचभद्रजाती के पतले दुबले दीखने वाले दो घोडों को दो लाख रुपये देकर खरीद लाया । दुर्जनों की बन आई, उन्होंने लक्ष्मीदत्त सेठ के कान भर दिये कि सेठ ! देखो तो आपके घर की लक्ष्मी किस कदर कचरापट्टी के घोड़ों की खरीद में बहाई जा रही है ।
SR No.022727
Book TitleShreechandra Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinharisagarsuri Jain Gyanbhandar
Publication Year1952
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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