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________________ (३५६) १०७ 1 कारुण्ण-दिण्ण-हियओ थोवा अह वेयणा तस्स ।। मारेह खाह पियह य किं वा पढिएण किं व धम्मेण । 3 एयं चिय चिंतेंतो मरिऊणं काहलो होइ ।। जो उण गुरुयण-सेवी धम्माधम्माइँ जाणिउं महइ । 5 सुय-देवय-गुरु-भत्तो मरिउं सो पंडिओ होइ ।।। विज्जा विण्णाणं वा मिच्छा-विणएण गेण्हिउं पुरिसो । 7 अवमण्णइ आयरियं सा विज्जा णिप्फला तस्स ।। बहु मण्णइ आयरियं विणय-समग्गो गुणेहिँ संजुत्तो । 9 इय जा गहिया विजा सा सहला होइ लोगम्मि ।। देमि त्ति ण देइ पुणो आसं काऊण कुणइ विमुहं जो । 11 तस्स कयं पि हु णासइ गोयम पुरिसस्स अहमस्स ।। जं जं इ8 लोए तं तं साहूण देइ सव्वं तु । 13 थोवं पि मुणइ सुकयं तस्स कयं णो पणस्सेज्ज ।। जो हरइ तस्स हिजइ ण हरइ जो तस्स संचओ होइ । 15 जो जं करेइ पावं विवरीयं तस्स तं होइ ।। पसु-पक्खि-मणूसाणं बाले जो विप्पउंजइ सकामं । 17 सो अणवच्चो जायइ अह जाओ तो विवजेज ।। जो होइ दया-परमो बहु-पुत्तो गोदमा भवे पुरिसो । 19 असुयं जो भणइ सुयं सो बहिरो जायए पुरिसो ।। अद्दिट्ट चिय दिटुं जो किर भासेज्ज कह वि मूढप्पा । 21 जच्चंधो सो जायइ गोदम एएण कम्मेणं ।। जाइ-मउम्मत्त-मणो जीवे विक्किणइ जो कयग्यो य । 1) J थोआ. 2) P मारेयह, P खाह पीयह किं. 3) P om. चिय. 9) P सफला, J लोयंमि. 10) P त्ति न देमि. 11) J गोतम. 12) P देइ दव्वं तु. 13) P पणासेज्जा. 16) P माणुसाणं, J विप्पयुंजइ P विप्पिउंजइ. 17) P विवज्जेजा. 18) P गोयमा. 19) J असुतं, J सुतं. 20) J अदिटुं, P किर for चिय. 21) P गोयम, P एतेण. 22) J मयुम्मत्तमणो P मणोमत्तमाणो, J विक्खिणइ.
SR No.022709
Book TitleKuvalaymala Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraguptasuri
PublisherAnekant Prakashan Jain Religious Trust
Publication Year2011
Total Pages246
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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