SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 23
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २० (१८५) 1 भणमाणेहिं णिम्मवियाई अत्तणो रूव-सरिसाइं रयण-पडिरूवयाई । ताई च ___णिक्खित्ताई णेऊण वणे जत्थ सीहो उववजिहि त्ति । तस्स य उवरिं महंती 3 सिला दिण्ण त्ति । तं च काऊण उवगया णियय-विमाणं । तत्थ भोए भुजंता जहा-सुहं अच्छिउं पयत्ता । तओ कुमार कुवलयचंद, जो सो ताण मज्झे 5 पउमप्पहो देवो सो एक्कपए चेय केरिसो जाओ । अवि य, वियलंत-देह-सोहो परियण-परिवजिओ सुदीण-मणो । 7 पवणाहओ व्व दीवो झत्ति ण णाओ कहिं पि गओ ।। तत्तो य चविऊण मणुयाणुपुव्वी-रजू-समायड्डिओ कत्थ उववण्णो । 9 (१८५) इहेव जंबुद्दीवे भारहे वासे दाहिण-मज्झिम-खंडे चंपा णाम णयरी । सा य केरिसा । अवि य, 11 धवल-हर-तुंग-तोरण-कोडि-पडाया-फुरंत-सोहिल्ला । ___ जण-णिवहुद्दाम-रवा णयरी चंपत्ति णामेणं ।। 13 तीए णयरीए तुलिय-धणवइ-धण-विहवो धणदत्तो णाम महासेट्ठी । तस्स य ___घरे घर-लच्छि व्व लच्छी णामेण महिला । तीए य उयरे पुत्तत्ताए उववण्णो 15 सो पउमप्पभो देवो । णवण्ह य मासाणं बहु-पडिपुण्णाणं अट्ठमाण य राइंदियाणं सुकुमाल-पाणिपाओ रत्तुप्पल-दल-भारओ विय दारओ जाओ । 17 तं च दट्टण कयं वद्धावणयं महासेट्ठिणा जारिसं पुत्त-लंभस्सुदए त्ति । कयं च से णामं गुरूहि अणेय-उवयाइएहिं सागरेण दत्तो त्ति सागरदत्तो । तओ पंचधाई19 परिवुडो कमेण य जोव्वण संपत्तो । तो जोव्वण-पत्तस्स य ता रूव-धण-विहव जाइ-समायार-सीलाणं वणिय-कुलाणं दारिया सिरि व्व रूवेण सिरी णामा 21 उवभोग-सहा एगा दिण्णा गुरुयणेणं । तओ अणेय-णिद्ध-बंधु-भिच्च-परिवारो __ अच्छिउं पयत्तो । को य से कालो उववण्णो । अवि य, ___1) P वि for ताई च. 2) P inter. जत्थ and वणे. 3) J विमाणे, P भुंजित्ता. 5) P पउमप्पभो. 6) P सोभो, P परियजिओ. 8) P om. य, J चइऊण, P रजसमा०. 9) J जंबूद्दीवे. 10) P नगरी, P केरिसी. 11) तोरणुकोडिपडागा. 12) P द्दामरया. 13) P om. महा, P om. य. 14) P तीय उयरे, J उवरे. 15) P नवण्हं मासाणं, P पुण्णाई अद्भुट्ठमाइं राइंदियाई सुकुं०. 16) Jom. दल. 17) P adds च after कयं, P महसेट्ठिणा, J पुत्तलंभसुअए P पुत्तलंसुदए, Jom. कयं च से etc. to सागरदत्तो I. 18) P उववाइएहिं सागरदत्तो त्ति, P पंचधावी. 19) J तओ for तो. 20) J अइ for जाइ P जाई, J राणिय for वणिय, P दारियं. 21) J उवभोगसुहाइ य दिण्णा, P om. अणेय, P निबद्ध for णिद्ध. 22) P कोलो for को य से कालो.
SR No.022708
Book TitleKuvalaymala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraguptasuri
PublisherAnekant Prakashan Jain Religious Trust
Publication Year2011
Total Pages240
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy