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________________ १९२ (२७८) 1 सुहमुप्पायएण पओएण कयं किं पि कजं तं । अवि य । जुवईयण-मण-मोहं मोहं मूढाण सव्व-जीवाणं । 3 होइ पसूहिँ वि रमियं परिहरियं दिव्व-भावेहिं ।। णिव्वत्ते य तम्मि जुवइयण-मण-मोहणे मोहणे कयाई वद्धावणयाई । दिण्णाई 5 महादाणाई। ___ (२७८) एवं च कय-कायव्व-वावारा अण्णम्मि दियहे समाख्दा हिमगिरि7 सिहर-सरिसं पासाय-तलं । तत्थ य आरूढेहिं दिटुं तेहिं विजयपुरवरीए दक्खिण-पायार-सेणी-बंधं धुयमाणं महारयणायरं । तं च केरिसं । अवि य । 9 गयणंगणं व रुंद धवलं कलधोय-धोय-पत्तं व । दुत्तार-दूर-तीरं खीर-समुद्दस्स बिंब व ।। 11 कहिंचि परिहत्थ-मच्छ-पुच्छच्छडा-छडिउच्छलंत-पाणियं, कहिंचि णिट्ठर कमढ-पट्ठि-संठिउल्ललंत-विद्दुम-पल्लवं, कहिंचि कराल-मयर-करग्ग-वगंत13 सिप्पि-संपुडं, कहिंचि पक्क-णक्क-चक्क-करवत्तुक्कंत-माण-मीणयं, कहिंचि दुग्गाह-गाह-गहिय-विवस-हीरमाण-वणचरं, कहिंचि धवल-संखउल15 लोलमाण-कमल-राय-रयण-दित्ति-चित्तलं, कहिंचि भिण्ण-सिप्पि संपुडुल्लसंत-कंत-मुत्ताहलुजलं, कहिचि जल-वड्डिय-जल-विद्दुम-दुम-गहण17 राय-रंजियं, कहिंचि तणुय-तंतु-तुलिय-हीरमाण-वण-करिवरं, कहिंचि मरगय-मणि-सिलायल-णिसण्ण-भिण्ण-वण्ण-दीसंत-मच्छ-जुवलयं, कहिंचि 19 जल-करि-दंत-जुवल-भिज्जमाण-जल-माणुस, कहिंचि उव्वत्तमाण महाभुयंग-भीम-भोग-भंग-भासुरं, कहिंचि जल-मणुय-जुयाण-जुवलय21 पयत्त-सुरय-केली-हेला-जल-वीइ-संकुलं, कहिंचि मज्जणावइण्ण-दिसा गइंदावगाहमाण-गंडयल-गलिय-मय-जल-संदोह-बिंदु-णीसंद-पयड-पसरंत___1) J सुहप्पयाएण, Jom. पओएण, P कयं कंपि जंतं. 2) P जुवतीयण. 3) J पसूहिमि रमियं, P विसरिसंपरिहरियं दिट्ठिभावेहिं. 4) J जुवईयण, Jom. दिण्णाई महादाणाई. 6) P om. कायव्व, P हिमहिगिरि. 8) J सेणीयद्धं. 9) P गयणंगयं व, P धवलकलहोय. 10) P दुत्तारदुरं. 11) J छडिउच्छडंत, P छोडिओच्छलंतपालियं. 12) P कमठपट्ठिसंठिउल्लसंतबिड्डसंपल्लवं कलिहिंचि, P करग्गमगंत. 13) P om. चक्क, P णीणयं for मीणयं. 14) J गह for गाह, P गहित, I हीरममाण, P जलकरिवरं for वणचरं. 15) P लोलमाणकोमयराय. 16) J सप्पुडुल्ल०, P संपडुल्लसंत, 1 कंतर for कंत, J वट्टिअ, Jom. जल. 17) P रहियं for रंजियं, J लिहिअ for तुलिय, P बर for वण. 18) P णियन्नभिन्न, Jom. भिण्ण. 19) J जुअलयं, J करिइंतजुअल. 20) | भोअ for भोग, P जलदुमाणुसजुयल. 21) J जलवीई P जलवीयि, J मज्जणवइण्ण, P दिसामयंदावगाहण. 22) J गिलिय for गलिय, J पहयपसंतकदावलाविता for पयडपसरंतवेलावली.
SR No.022708
Book TitleKuvalaymala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraguptasuri
PublisherAnekant Prakashan Jain Religious Trust
Publication Year2011
Total Pages240
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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