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________________ १०६ (२२७) 1 भिल्लेहिं । तओ आसासिओ तेहिं, भणिओ य ‘मा बीहेह, पसण्णो तुम्हाणं सेणावई' । आणिओ से पास मं-भीसिओ तेण । भणियं च सेणावइणा 3 भो भो सत्थवाह, पुण्णमंतो तुम, चुक्को महंतीओ आवईओ, जस्स एसो महाणुभागो समागओ सत्थम्मि । ता धीरो होहि, पडियग्गसु अत्तणो भंडं । जं 5 अत्थि तं अत्थि, जं णत्थि तं एक्कारस-गुणं देमि त्ति । पेच्छसु पुरिसे, जो जियइ तं पण्णवेमि त्ति । सव्वहा जं जंण संपडइ तमहं जाणावेसु' त्ति भणमाणो 7 घेत्तुं कुमारस्स करं करेण समुट्ठिओ सेणावई पल्लिं गंतुं समाढत्तो । (२२७) आढत्ता य पुरिसा । 'भो भो, एयं सत्थाहं सुत्थेण पराणेसु जत्थ 9 भिरुइयं सत्थवाहस्स' त्ति भणिऊण गओ सज्झ-गिरि-सिहर-कुहर-विवर-लीणं महापल्लिं । जा य कइसिय । कहिंचि चारु-चमरी-पिंछ-पब्भारोत्थइय-घर11 कुडीरया, कहिंचि बरहिण-बहल-पेहुण-पडाली-पच्छाइय-गिम्हयाल-मंडव रेहिरा, कहिंचि करिवर-दंत-वलही-सणाहा, कहिंचि तार-मुत्ताहल-कय13 कुसुमोवयार-रमणिज्जा, कहिंचि चंदण-पायव-साहा-णिबद्धंदोलय-ललमाण विलासिणी-गीय-मणहर त्ति । अवि य, 15 अलया-पुरि व्व रम्मा धणय-पुरी चेय धण-समिद्धीय । लंकाउरि व्व रेहइ सा पल्ली सूर-पुरिसेहिं ।। 17 तीए तारिसाए पल्लीए मज्झेण अणेय-भिल्ल-भड-ससंभम-पणय-जयजया-सद्द___ पूरिओ गंतुं पयत्तो । अणेय-भिल्ल-भड-सुंदरी-वंद्र-दसण-रहस-वस-वलमाण19 धवल-विलोल-पम्हल-सामल-णीलुप्पल-कुमुय-माला-संवलंत-कुसुम__दामेंहि अच्चिज्जमाणो भगवं अदिट्ठ-पुव्वो कुसुमाउहो व्व कुमारो वोलीणो त्ति । 21 तओ तस्स सेणावइणो दिटुं मंदिरं उवरि पल्लीए तुंगयर-सज्झ-गिरिवर सिहरम्मि । तं च केरिसं । अवि य, ___3) J सत्थाह कयउण्णो तुम. 4) P महाणुभावो, P अत्तणं. 5) P om. जं before अत्थि, P om. तं after णत्थि, P मुणं for गुणं, P पुरिसो. 6) P पन्नवेमो, P संघडइ, J तं महं. 7) P सेणावती, J समाढत्ता. 8) Better (आणत्ता) for आढत्ता, P om. य, J सच्छाहं सत्थेण, P om. सत्थाहं, P परायणेसु, P जहा भिरू०. 9) J भिरूईयं, Jom. सत्थवाहस्स त्ति, Jom. गिरि, P om. कुहर, Jल्लीणं. 10) P जाव कतिसिय, P पुच्छ for पिंछ, J पब्भारोछइयघरकुट्टीरया. 11) P गिम्हयालंगंडव. 12) J रेहिर, P वर for करि, J वरहीसणाह. 13) J रमणिज. 14) P om. अवि य. 15) P अलयाउर त्ति रम्मा. 16) J adds रम्मा before रेहइ. 17) J तीअ, P om. भड, P after ससंभमपणय, repeats धणसमिद्धी य । etc. to भिल्लससंभमपणय, P दसद्द for सद्द. 18) P inter. भड & भिल्ल, P विलसमाण for वलमाण. 19) P कुसुमयमेहिं.
SR No.022708
Book TitleKuvalaymala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraguptasuri
PublisherAnekant Prakashan Jain Religious Trust
Publication Year2011
Total Pages240
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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