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________________ ७४ 1 गंभीर-णीर-फरिहा-समुद्द-पायार-वेइया- कलिया । जंबुद्दीवं मण्णे सहसा दिट्ठा सुरेहिं पि ।। 3 राव - तुरय-गमण - संताव- - जाय-मुह - फेण-पुंज - धवलइए । कोडि-पडागा - णिव जा मारुय - चंचले वहइ || 5 जम्मि भवणग्ग - लग्गं णह-लंघण - णीसह - णिसम्मतं । अहिसारियाओं चंदं पणय - सगब्भं उवलहंति ।। 7 हम्मिय-तलेसु जम्मि य मणि- कोट्टिम-विप्फुरंत-पडिबिंबा । पडिसिहि-जायासंका सहसा ण णिलेंति सिहिणो वि ।। 9 इय केत्तियं व भणिमो जं जं चिय तत्थ दीसए णवरं । अण्ण-णयरीण तं चिय णीसामण्णं हवइ सव्वं । जत्थ य फरिहाओ वि णत्थि जाउ ण विमल - जल-भरियओ । विमल-जलइँ जे णत्थि जाइँ ण सरस - तामरस - विहूसियई || - तामरसई जे णत्थि जाइँ ण हंस - कुल - चंचु - चुण्णियई । हंसउलइँ जे णत्थि जाइँ ण णीलुप्पल - दल-भूसियई || सरस 15 णीलुप्पलइँ जे णत्थि जाइँ ण भमिर - भमरउल - चुंबियई । भमरउलइं जे णत्थि जाइँ ण कुसुम - रेणु - पिंजरियई । 17 कुसुमइँ जे णत्थि जाइँ ण णिम्महंत - बहल-मयरंद-परिमलाई ति । अवि य । जलहि-जलोयरम्मि रेहेज्ज व महु-महणस्स वल्लहा । अहव तिकूड-सेल-सिहरोयरि लंका - णयरिया इमा ।। अहव पुरंदरस्स अलया इव रयण - सुवण्ण-भूसिया । इय सा अमरएहिँ पुलइज्जइ विम्हियएहिँ णयरिया ।। (६९) तं च तारिसं महाणयरिं पिय- पणइणिं पिव परिभुंजइ पुरंदरदत्तो णाम 11 13 19 (६८) 21 1) J दरिहा for फरिहा. 3 ) J धवलाए. 4 ) P पडाया. 6) P • सारियतो, P उयलहंति. 7) P हंमिययलेसु. 9) P द्दीसए. 10) P नीसमण्णं वहइ. 11) J जत्थ व फरिहउ, J भरियाओ. 12) P विभूसियई. 13 ) P नवहंसउल, J चुण्णिआई. 14) P हंसउलयं, J om. ण, P दलदूसियइ. 15) P भमर for भमिर, P नव for ण. 17 ) P कुसुमयं, P परिमलयं. 18) P किं होज्ज for रेहेज्ज. 19) J तिउड. 20) P रवण for रयण. 21) P पुलइज्ज, J विम्हयएण णय. 22) P पीयपणइणी, J om. णाम.
SR No.022707
Book TitleKuvalaymala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraguptasuri
PublisherAnekant Prakashan Jain Religious Trust
Publication Year2011
Total Pages244
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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