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________________ ७१ (६६) 1 सो च्चिय मूढो फालइ अव्वो करवत्त-जंतेहिं ।। आसा-विणडिय-तण्हालुएहिँ पिय-पुत्तओ त्ति जो गणिओ । 3 संसारासार-रहट्ट-भामिओ सो भवे सत्तू ।। पीयं थणय-च्छीरं जाणं मूढेण बाल-भावम्मि । 5 विसमे भव-कंतारे ताणं चिय लोहियं पीयं ।।। जो चलण-पणामेहिं भत्तीएँ थुओ गुरु त्ति काऊणं । 7 णिद्दय-पाय-प्पहरेहि चुण्णिओ सो च्चिय वराओ ।। जस्स य मरणे रुव्वइ बाह-भरंतोत्थएहि णयणेहि । 9 कीरइ मय-करणिज्जं पुणो वि तस्सेय मंसेहिं ।। भत्ति-बहु-माण-जुत्तेण पूइया जा जणेण जणणि त्ति । 11 संजाय-मयण-मोहेण रमिया एस महिल त्ति ।।। पुत्तो वि य होइ पई पई वि सो पुत्तओ पुणो होइ । 13 जाया वि होइ माया माया वि य होइ से जाया ।। होइ पिया पुण दासो मरिउं दासो वि से पुणो जणओ । 15 भाया वि होइ सत्तू सत्तू वि सहोयरो होइ ।। भिच्चो वि होइ सामी सामी मरिऊण हवइ से भिच्चो । 17 संसारम्मि असारे एस गई होइ जीवाणं ।। ___ इय कुमार, किं वा भण्णउ । 19 खर-पवणाइद्धं विसमं पत्तं परिभमइ गिरि-णिउंजम्मि । इय पाव-पवण-परिहट्टिओ वि जीवो परिब्भमइ ।। 21 तेण कुमार, इमं भावेयव्वं । ण य कस्स वि को वि पिया ण य माया णेय पुत्त-दाराई । 6) P चलयण. 7) P पहारेहि. 8) P त्थएण वयणेण. 10) P जणणजणिणि. 11) P मिहल for महिल. 12) P सो for विय, P होई, P से for सो, P विय से पुणो जाया. 14) P पुण दोसो. 16) P सो भवे for हवइ से. 17) Jom. संसारम्मि to जीवाणं ।. 19) P पवणाइंद्धं, J वसमं. 20) P परिहिट्ठिओ. 21) P इमं संभावे..
SR No.022707
Book TitleKuvalaymala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraguptasuri
PublisherAnekant Prakashan Jain Religious Trust
Publication Year2011
Total Pages244
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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