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________________ २०८ (१५८) 1 तं चेय णियच्छंती अच्छइ जोइ व्व झाणत्था ।। अज्जेक्क चिय दियह अत्ता वच्चामि जइ तुम भणसि । 3 अणुदियह पि भणंती अण्णा दइयं समल्लियइ ।। पढमं चिय पिय-वसही गंतव्वं अजमेव चिंतेती । 5 गुरु-सज्झस-तोस-विसाय-णिब्भरा होइ अण्णा वि ।। तम-पडहत्था रच्छा कीय वि जो होइ संभमो हियए । 7 सो होत-दइय-संगम-सुहेल्लि-पडिपेल्लिओ गलइ ।। अणुराओ चेय फरो तस्स गुणा चेय णिम्मलं खग्गं । 9 इय भणिउं एक्क च्चिय पिय-वसहिं पत्थिया अण्णा ।। वण्णेति पोढ-महिला किर सो बहु-सिक्खिरो जुवाणो त्ति । 11 णिव्वडइ तं पि अजं इय भणिरी वच्चए अण्णा ।। वण्णिज्जइ महिलाहिं जा रयणाली कुमार-कंठम्मि । 13 तं पेच्छह मह कंठे एव भणंती गया अण्णा ।। कसिण-पड-पाउयंगी दीवुजोयम्मि कुहिणि-मज्झम्मि । 15 वोलेइ झत्ति अण्णा कयावराहा भुयंगि व्व ।। अण्णा भय-भरियंगी अच्छिच्छोएहिँ जाइ पुलयंती । 17 णीलुप्पल-णियरेहिँ व अच्चंती पंथ-देवीओ ।। अण्णा सहियण-भणिया पिय-वसहिं वच्च ताव मंडेउं । 19 चलिय च्चिय णिय-सोहग्ग-गव्विरी का वि दइयस्स ।। वच्चंतीय य कीय वि ट्ठिो सो चेय वल्लहो पंथे । 21 अह पडिमग्गं चलिया पिय त्ति गव्वं समुव्वहिरी ।। दद्रूण काइ दइयं पियाएँ समयं सुणिब्भर-पसुत्तं । 3) P अणुदियहमि, J समुल्लियइ. 4) J पढमं चिय वसई चेय गंतव्वं, P चिंतती. 5) P सब्भस. 6) J संहमो. 7) J सुहुल्लि. 8) J खरो for फरो. 9) P भणियं, J पियवसई. 10) P अण्ण त्ति for वण्णेति, P सिक्खिओ. 12) P महिलाई, J रयणीली P रयणावली. 13) J का वि for अण्णा. 14) P पाउरंगी, J adds जा before दीवु०, J has a marginal note on कुहिणि thus देशी कुहणी कर्पूरो रथ्था च ।, P मज्जंमि. 15) J अण्ण. 16) J अच्छिच्छोहेहिइ. 17) P नयणेहिं व अच्ती , J पत्थ. 18) J सहि for वसहिं. 19) P चविय for चलिय, J कियसोहग्गगव्विणी. 22) P दद्रूण कोइ.
SR No.022707
Book TitleKuvalaymala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraguptasuri
PublisherAnekant Prakashan Jain Religious Trust
Publication Year2011
Total Pages244
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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