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________________ मन्त्री उदयन के चार पुत्र थे - (१) अंबड, (२) बाहड, (३) चाहड और (४) सोल्लाक। मन्त्री अंबड महामात्य उदयन का बडा पुत्र अंबड भी महामात्य और दंडनायक बना । यह कवि, पराक्रमी और दानी था । अपने पिता की प्रतिज्ञानुसार शत्रुजय तीर्थ और भरुच के शकुनिका-बिहार का उद्धार करवाया । वि.सं. १२१७ में दूसरी बार आक्रमण कर कोंकण के राजा मल्लिकार्जुन का मस्तक, चार दांत वाला एक हाथी, मणिमाणिक, सोना चांदी इत्यादि लेकर पाटण लौटा तब कुमारपाल राजा ने इसे 'महामंडलेश्वर' तथा 'राजपितामह' का बिरुद दिया था । मन्त्रिराज ने अनेक मन्दिर बनवाए और जिनप्रतिमाएँ निर्मित कराई । कुमारपाल की मृत्यु के बाद अजयपाल ने अंबड को मारने के लिए सैन्य भेजा । अंबड ने भी समय पहिचान कर तीर्थंकर परमात्मा की पूजा की और अनशन स्वीकारा । बाद में अपने आदमियों के साथ घर से बाहर निकलकर सैन्य का मुकाबला करते-करते घटीधर तक पहुँचा और वहीं प्राण त्याग दिये । मन्त्री बाहड उदयन का दूसरा पुत्र बाहड था । यह सिद्धराज का मन्त्री और कुमारपाल का महामात्य एवं राणक बना । बाहड ने शत्रुजय मन्दिर तय्यार हो जाने के समाचार लाने वाले को प्रीतिदान में १६ चांदी की जीभें दी थी। दूसरे दिन उसी मन्दिर के गिर पडने के समाचार लाने वाले को ३२ चांदी की जीभें दी । इस विषय में स्पष्टता करते कहा कि मेरी उपस्थिति में मन्दिर गिर पड़ने के समाचार मिलने से मैं इसे फिर बना सकूँगा, किन्तु मृत्यु के बाद यह मन्दिर नष्ट होता तो वापिस कब बनता, कौन जाने । मन्दिर का पुनः निर्माण करवाया और इस चौदहवें उद्धार की प्रतिष्ठा वि.सं. १२१३ में कलिकालसर्वज्ञ आ. श्री हेमचन्द्रसूरि से करवाई। (७५)
SR No.022704
Book TitleJain Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKulchandrasuri
PublisherDivyadarshan Trust
Publication Year
Total Pages162
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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