SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 30
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [18] कुवलयमाला-कथा लाखों शत्रुओं का काम तमाम करके (मार करके) उनकी स्त्रियों को वैधव्य दीक्षा दिलायी है, उसी तलवार का उपयोग अपनी गर्दन पर क्यों करते हो?" राजा - मैं लगातार तीन दिन और तीन रात निराहार रहा, फिर भी आपने दर्शन नहीं दिये। इसी कारण मैंने तलवार का उपयोग करना चाहा था। राज्यलक्ष्मी मुस्कुरा कर बोली- "बच्चे! बोल क्या चाहता है?" राजा- देवी! कृपा करके मुझे ऐसा पुत्र दीजिए जो समस्त कलाओं में कुशल हो, राज्य की धुरा को धारण कर सके, कुल रूपी मन्दिर का सहारा हो और अच्छे-अच्छे गुणों से शोभायमान हो। राजा की माँग सुनकर देवी मुस्कुराई और बोली- "महाराज! क्या कभी कोई पुत्र तुमने मुझे अमानत रखने के लिए दिया था, जो मुझसे माँगते हो?" राजा- हाँ, यह सच है कि मैंने आपको कोई पुत्र नहीं सौंपा, लेकिन कल्पलता के पास रह कर क्या कोई भूखों मरता है? गङ्गा के किनारे रहने वाला क्या कभी प्यासा रह सकता है? या सब से बढ़िया चिन्तामणि रत्न पाकर कोई दरिद्री देखा जाता है? फिर आपके दर्शन पा करके भी कोई मानसिक दुःख का अनुभव कैसे कर सकता है? देवी- महाराज! मैंने हँसी की है। पूनम के चाँद के समान समस्त कलाओं का धारण करने वाला एक पुत्र तुम्हें प्राप्त होगा। इतना कहकर देवी अदृश्य हो गयी। राजा राज्यलक्ष्मी का प्रसाद पाकर चैत्यालय से बाहर आया और स्नान आदि क्रियाएँ करके राजसभा में गया। वहाँ मन्त्रियों को बुला कर सब हाल कह सुनाया। मन्त्री- गुरुदेव की कृपा से तथास्तु (ऐसा ही हो) । इसके बाद दृढप्रतिज्ञ राजा दृढ़धर्मा सभा से उठकर महारानी के पास गये और वहाँ भी सारा हाल कहा। रानी सुनकर बहुत प्रसन्न हुई। राजा ने नगर भर में वर्धापन उत्सव कराया। अपनी उज्ज्वल किरणों से अन्य समस्त किरणों को अस्त करने वाले सूर्य की किरणें अन्धकार का नाश करती करती क्षीण होने लगीं। इसलिए उसने अस्ताचल का आश्रय लिया। 'आकाश में सूर्य के रहते मेरे पुत्र प्रथम प्रस्ताव
SR No.022701
Book TitleKuvalaymala Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar, Narayan Shastri
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2013
Total Pages234
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy