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________________ कुवलयमाला-कथा [13] वाले मेरे पिता को राज्य से च्युत होना पड़ा और मुझे शत्रु की गोद में आकर इस शोचनीय दशा को प्राप्त होना पड़ा। राजेन्द्र! इस शोक के कारण ही मेरे आँसू न रुक सके।" __“अहो! इसके मुख से ऐसे मधुर वचन निकले? इसके वचनों से मालूम होता है कि इसे कार्य-अकार्य का कैसा विचार है? अहो, यह सब आश्चर्यजनक है।" इस प्रकार कहते हुए राजा ने मन्त्रियों के मुँह की तरफ देखा। मन्त्री बोले "महाराज! इसमें कुछ आश्चर्य नहीं है। चने की बराबर अग्नि का भी स्वभाव जला डालने का होता है। सरसों बराबर रत्न भी बेशकीमती होता है। महान् वंशों में उत्पन्न होने वाले राजपुत्र, सत्त्व, पुरुषार्थ और मान से पैदा हुए गुणों की विभूति के साथ ही साथ बड़े होते हैं। स्वामिन् ! यह मामूली आदमी नहीं, वरन् स्वर्ग से आये हुए देवों के कुछ कर्म बाकी बचे रहते हैं, उन्हीं से वे ऐसे वंश में उत्पन्न होते हैं। "बेशक यही बात है" कहकर राजा ने कुमार से कहा-"वत्स, चिन्ता से चित्त में घबराहट न लाओ। मैं तुम्हारा शत्रु था, यह बात ठीक है, पर अब नहीं हूँ। जब से तू महल में आया तभी से तू और तेरे पिता मालवाधीश मेरे मित्र हैं। तू मेरे पुत्र के तुल्य है। यह जानकर अधीर न होओ। मैं तुम्हारा शत्रु हूँ, यह बुद्धि त्याग दो। बेटे! यहाँ अपने घर की तरह खेलो-कूदो। सब अच्छा ही फल होगा।" इस प्रकार समझा-बुझाकर राजा ने अपने गले का हार उतारकर कुमार के कण्ठ में पहना दिया और सुपारी के चूर्ण से युक्त नागवेल का पान खाने को दिया। कुमार ने 'महाप्रसाद' कहकर स्वीकार किया। इसके बाद राजा ने कुमार को सुरगुरु नाम के प्रधानमन्त्री को सौंप दिया और हिदायत कर दी कि इसे सावधानी से रमाइये कि यह अपने माँ-बाप की याद न करे और ऐसा यत्न करना कि यह मुझ निपूते का पुत्र हो जावे। फिर थोड़ी देर तक महाराज सभा में बैठकर सिंहासन से उठे और दिन के सब आवश्यक कार्य करते-करते दिन समाप्त हो गया। राजा दूसरे दिन कुल-पर्वतों के बीच रहे हुए सुमेरु पर्वत की तरह मालिक राजाओं के बीच में बाहर के सभामण्डप में बैठे हुए थे। उस समय रनवास में रहने वाली सुमङ्गला नाम की दासी आई। वह धुले हुए दो सफेद प्रथम प्रस्ताव
SR No.022701
Book TitleKuvalaymala Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar, Narayan Shastri
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2013
Total Pages234
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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