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________________ उपयुंक्य सुभाषितों से यह बात निश्चित की जा सकती है कि हेमचंद्र पर उनके पूर्ववर्ती जैन रामकथाकारों का प्रभाव अवश्य पड़ा है। विमलसूरि के पउमचरिय, रविणेश के पद्मचरित एवं स्वयंभू रचित पउमचरितादि अनेक जैन रामकथात्मक ग्रंथावलोकन पर उपर्युक्त तथ्य की सहज पुष्टि हो जाती है। ) : संदर्भ-सूची: १. त्रिशपुच.- पर्व ७, - १/४४-४५, ९७-१०२, २।८४-८१, ३१६-३२५, ३.१०७-१११, ६/३०८ आदि अनेक स्थल। २. त्रिशपुच. पर्व ७, ३/१०६-१०७-१११ ३. वही - २/३१८-३२३ ४. त्रिशपुच. पर्व ७, ३/४७-५०, ६५-७५, ९०-९३, ३/२२२-२३२ ५. त्रिशपुच. ६, ३६-४० वही - ३/४७-५० जैन रामायण - ६/४०६ त्रिशपुच. पर्व ७, - १/४-४१, ५९, ८८, २/१२५, १७०, २२६, ३५७, ३६०, ५०७, ५०९, ५४९, ६४०, ६४८, ३/१७१, ४/२७, २९, ३०, ३७, ७०, २१३, २३०, २३४, ३२२, ३८९, ३९८, ४१४, ५२९, ५/१६२, २२६, २८०, ३०७, ३०९, ३४२, ३६८, ८/३०, ३४, ११३, २४९, १५१, ९९, १९९, २३३, १०/४८, ५०, ६५, ६९, ७७, ८८, १०४, १०६, १११, ११२, १३८, १७७०, १८०, १८१ आदि। ९. वही - ५/३९५, ६/१२०, ७/२२७-२३०, २३४-२३८, ८/४-६, ९/२५ २६. ३०-३४, १०/१३१-१३३ आदि। १०. वही- ७/२२७-२३० ११. त्रिशपुच. पर्व ७, - ९/२४-२५, ३० १२. त्रि. ष. पु. च. पर्व ७, - ७२३-३५, ६३-८६, ३१७-३२१, ३६४-३७५ १३. वहीं - ७३१७, ३१९-३२० १४. वही - ७/३६६-३६७ १५. त्रिशपुच. पर्व ७, - १/१९-२०, ४६-५१, ७०-८५, ९४-९५, ११८-१०, २४११५-११९, १३९/१४०, १४५-१४८, २०४-२०८, २१३-२२०, ३२८३३८, ५७०, ६०४-६२०, ३/२९०-२९८, ४/२७८-२६८, ५/१०७-१०९, ३०-३१, २१९-२२२, ६/७०-८०, १०९-११४, २३९-२४७, २७३-२७५, ३७४-३८४,७/६१-७६, १९५-२१९, ३६४-३७६, ५६७-५६९ आदि अनेक स्थल। १६. त्रिशपुच. पर्व ७, - ७/३६४-३७५ और भी देखिये २/६०६-६१८ 172
SR No.022699
Book TitleJain Ramayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishnuprasad Vaishnav
PublisherShanti Prakashan
Publication Year2001
Total Pages216
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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