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________________ कार - ज गण राधि का - र गण त गण य गण S s मगण स गण ल गण मः . - ग गण इस प्रकार हम देखते हैं कि हेमचंद्र ने जैन रामायण में केवल पाँच छंदो का प्रयोग किया है। त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित, पर्व ७ का प्रधान छंद अनुष्टुप् है। हेमचंद्र की छंद योजना योजनाबद्ध एवं संगत रही है। यह ग्रंथ छंदविधान की दृष्टि से प्रबंधत्व की कसौटी पर खरा उतरता है। कृति का छंदविधान ठोस तथा पश्चातवर्ती कवियों के लिए मार्गदर्शक बन पड़ा है। (३) अलंकार विधान : अलंकार काव्यसौंदर्य के मूल कारण एवं सर्वस्व भी कहे जाते हैं। "काव्यशोभाकरान् धर्मान् अलंकारम् प्रचक्षते" के अनुसार ये काव्य की सुन्दरता के धर्म हैं। अलंकारों के मुख्य तीन प्रकार हैं- शब्दालंकार, अर्थालंकार तथा उमयालंकार। इन तीन मुख्य अलंकारों के अलावा भी इनमें अनेक भेदोपभेद हैं। 142
SR No.022699
Book TitleJain Ramayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishnuprasad Vaishnav
PublisherShanti Prakashan
Publication Year2001
Total Pages216
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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