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________________ २. प्रथम द्वितीय ८ + ८ + १६ अक्षर एक इकाई। तृतीय + चतुर्थ ८ + ८ + १६ अक्षर एक इकाई । (८ अक्षरों के विभाग को अष्टक कहा गया है) २. चारों अष्टकों में प्रत्येक का पाँचवां अक्षर लघु होता है। चारों अष्ट्रकों में से प्रत्येक का छठा अक्षर गुरु होता है। प्रथम व तीसरे अष्टकों का सातवां अक्षर गुरु होता है। दूसरे व चौथे अप्टक का सातवां अक्षर लघु होता है। परन्तु इन लक्षणों का कहीं-कहीं निर्वाह नहीं किया जाता। यहाँ ऐसे भी उदारहण पाए जाते हैं। अंत्य छन्द : (१६४वां) रथोद्धता-प्रत्येक पाद में ग्यारह अक्षर। पाद ४, यति तीसरे अक्षर पर, कहीं-कहीं चौथे पर भी अक्षर गण - र म न र ल ग। द्वितीय सर्ग : छन्द १ से ६५३ तक-अनुष्ट प्। अंत्य-(६५४वां)-मालिनी-प्रत्येक पाद में १५ अक्षर पाद - ४, यति - ८ व १५ पर अक्षर गण-नम न म य य तृतीय सर्ग : छंद १ से ३०२ अनुष्टुप्। अन्त्य (३०३वां) वसंततिलका-प्रत्येक पाद में १४ अक्षर । पाद - ४, यति ८ व १४ पर। अक्षर गण - त भ ज ज ग चतुर्थ सर्ग : छंद १ से ५३० - अनुष्टप्। अन्त्य (५३३वां) वसंततिलका - प्रत्येक पाद में १४ अक्षर। पाद ४, यति ८ व १४ पर। अक्षर गण - त भ जज ग पंचम सर्ग : छंद १ से ६४० - अनुष्टप्। अंत्य (४६१वां) शार्दूलविक्रीडित - पाद - ४ प्रत्येक पाद में १९ अक्षर । यति १२ व १९ पर अक्षर गण म स ज स तत ग . षष्टम सर्ग : छंद १ से ४०६ - अनुष्टप्। अंत्य (४०८वां) वसंततिलका १ पाद - ४ प्रत्येक पाद में १४ अक्षर । यति ९ व १४ पर। अक्षर गण - त भ जज ग ग सप्तम सर्ग : छंद १ से ३७६ - अनुष्ट प्। अंत्य (३७७वां) मालिनी - पाद ४ प्रत्येक पाद में १५ अक्षर । यति ८ व १५ पर। अक्षर गण - न न म य य 140
SR No.022699
Book TitleJain Ramayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishnuprasad Vaishnav
PublisherShanti Prakashan
Publication Year2001
Total Pages216
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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