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________________ ७८/तीर्थकर चरित्र विच्छेद हो गया। इतर लोगों का इतना प्रभाव बढ़ा कि मूल तत्त्व के प्रति आस्था खत्म हो गई। यह क्रम सोलहवें तीर्थंकर श्री शांतिनाथ के पूर्व तक रहा। जबजब तीर्थंकर होते, तीर्थ चलता, उनके निर्वाण के बाद क्रमशः क्षीण होकर विच्छेद हो जाता। इस अवसर्पिणी में होने वाले दस आश्चर्यों में इसे भी एक आश्चर्य माना गया प्रभु का परिवार ० गणधर ० केवलज्ञानी ० मनः पर्यवज्ञानी ० अवधिज्ञानी ० वैक्रिय लब्धिधारी ० चतुर्दश पूर्वी ० चर्चावादी ० साधु ० साध्वी ० श्रावक ० श्राविका एक झलक ० माता ० पिता ० नगरी वंश ० गोत्र ८८ ७५०० ७५०० ८४०० १३,००० १५०० ६००० २,००,००० १,२०,००० २,२९,००० ४,७१,००० ० ० ० चिन्ह ० वर्ण ० शरीर की ऊंचाई ० यक्ष ० यक्षिणी ० कमार काल ० राज्य काल ० छद्मस्थ काल ० कुल दीक्षा पर्याय रामादेवी सुग्रीव काकंदी इक्ष्वाकु काश्यप मगर श्वेत १०० धनुष्य अजित सुतारा ५० हजार पूर्व २८ पूर्वांग अधिक ५० हजार पूर्व ४ मास २८ पूर्वांग कम १ लाख पूर्व
SR No.022697
Book TitleTirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSumermal Muni
PublisherSumermal Muni
Publication Year1995
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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