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________________ अप्रतिहत प्रभाव ६८, निर्वाण ६८, प्रभु का परिवार, झलक व कल्याणक ६८. १५. भगवान् श्री धर्मनाथ-१०० से १०६ । तीर्थंकर गोत्र का बंध १००, जन्म १००, विवाह और राज्य १०१, दीक्षा १०१, केवलज्ञान १०१, तेजस्वी धर्मसंघ १०२, चार शलाकापुरुष १०२, निर्वाण १०५, प्रभु का परिवार, झलक व कल्याणक १०५. १६. भगवान् श्री शांतिनाथ–१०७ से १११ दसवां तथा ग्यारहवां भव १०७, जन्म १०६, विवाह और राज्य १०६, दीक्षा ११०, निर्वाण ११०, प्रभु का परिवार, झलक व कल्याणक ११०. १७. भगवान् श्री कुंथुनाथ-११२ से ११५ तीर्थंकर गोत्र का बंध ११२, जन्म ११२, विवाह और राज्य ११३, दीक्षा ११४, निर्वाण ११४, प्रभु का परिवार, झलक व कल्याणक ११५. १८. भगवान् श्री अरनाथ-११६ से ११८ तीर्थंकर गोत्र का बंध ११६, जन्म ११६, विवाह और राज्य ११७, दीक्षा ११७, निर्वाण ११७, प्रभु का परिवार, झलक व कल्याणक ११७. १९. भगवान् श्री मल्लिनाथ–११६ से १२४ तीर्थंकर गोत्र का बंध ११६, जन्म १२०, मित्रों को प्रतिबोध १२०, दीक्षा १२१, निर्वाण १२३, प्रभु का परिवार, झलक व कल्याणक १२३. २०. भगवान् श्री मुनिसुव्रत-१२५ से १२७ तीर्थंकर गोत्र का बंध १२५, जन्म १२५, दीक्षा १२६, निर्वाण १२६, प्रभु का परिवार, झलक व कल्याणक १२६. २१. भगवान् श्री नमिनाथ–१२८ से १३१ तीर्थंकर गोत्र का बंध १२८, जन्म १२८, विवाह और राज्य १२६, दीक्षा १२६, केवलज्ञान १३०, निर्वाण १३०, प्रभु का परिवार, झलक व कल्याणक १३०. २२. भगवान् श्री अरिष्टनेमि-१३२ से १५३ पहला व दूसरा भव १३२, तीसरा व चौथा भव १३२, पांचवां व छठा भव १३३, सातवां व आठवां भव १३३, जन्म १३५, हरिवंश की उत्पत्ति १३६, नेमि का पैतृक कुल १३७, बाल्यकाल १३७, जरासंध के युद्ध में १३७, अपरिमित बल १३८, रुक्मिणी आदि का नेमि के साथ बसंतोत्सव १४०, अभिनिष्क्रमण १४१, केवल ज्ञान १४२, राजीमती की विरक्ति १४२, देवकी का छह पुत्रों से मिलन १४४, गजसुकुमाल की मुक्ति १४६, उत्कृष्ट तपस्वी ढंढ़ण १४७, द्वारिका-दहन की घोषणा १४८, मदिरा-निषेध १४६, दीक्षा की दलाली १४६, दीपायन का निदान १५०, तीर्थंकरत्व की भविष्यवाणी १५०, बलराम की दीक्षा १५१, पांडवों की मुक्ति
SR No.022697
Book TitleTirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSumermal Muni
PublisherSumermal Muni
Publication Year1995
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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