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________________ भगवान् श्री शीतलनाथ/८१ औषधि का कोई असर नहीं हो रहा था। अनायास रानी के हाथ का स्पर्श मेरे शरीर से हुआ। शरीर में तत्काल शीतलता आ गई। उसके बाद क्रमशः बीमारी समाप्त हो गई, अतः बालक का नाम 'शीतल कुमार' रखा जाये। सबने बालक को इसी नाम से पुकारा। बड़े लाड़-प्यार से लालन-पालन होने लगा । युवावस्था में राजा दृढ़रथ ने अनेक राजकन्याओं से शीतल कुमार की शादी की। कालांतर में राजा ने पुत्र का राज्याभिषेक कर जितेन्द्रिय मुनियों के पास श्रमणत्व स्वीकार किया। LM NEPAL PRO: MORE भगवान् शीतलनाथ ने राजा बन कर सबको शीतल बना दिया, किसी में उत्तप्ति नहीं रही। उनके शासनकाल में लोगों की भौतिक मनोकामना खूब पूरी हुई, अतः लोगों का हृदय उनके प्रति आस्थावान् बन गया था। दीक्षा अवधि ज्ञान से अपनी दीक्षा का समय समीप समझकर भगवान् ने युवराज को राज्य-भार सौंपा और वर्षीदान प्रारम्भ कर दिया । राजा के द्वारा वैभवपूर्ण जीवन छोड़कर विरक्त बनने के प्रेरक वृत्तांतों ने अनेक सम्पन्न व्यक्तियों को भोगों से विरक्त कर दिया। एक हजार व्यक्ति उनके साथ दीक्षा के लिये तैयार हो चुके थे। माघ
SR No.022697
Book TitleTirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSumermal Muni
PublisherSumermal Muni
Publication Year1995
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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