SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 139
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भाषा-टीका का नमूना देखिए "इनके वंश के तिनके भेद । जु पांडुर वर्ण होइ। भूरे केस। नखछवि पूछ होइ। धीर होइ। रिस कराई करे। सु एरापति के वंस को। आगी ते काहू ते न डेर (डरे? ) नहीं। दांत सेत । आगिलो ऊंचो गात्र । मरेताई छवि। राते नेत्र । सेत सुधेदर। सु पुंडरीक के वंस को जानिवे।" हेमनिधान (1676 ई.) यह खरतरगच्छीय थे और संभवतः बीकानेर के निवासी थे । इन्होंने 'सन्निपातकालिका-स्तबक' टीका की रचना की थी। इसका रचनाकाल सं. 1733 (1676 ई.) है। इसकी हस्तप्रति बिनचारित्रसूरि भंडार बीकानेर और रा. प्रा. वि. प्र. बीकानेर में है। नयनशेखर (1679 ई.) यह गुजरात के निवासी थे। मोहनलाल दलीचंद देसाई ने लिखा है- 'वैद्यक विषय पर अब तक गुजराती भाषा में किसी ने पद्यमय रचना नहीं की थी, जो इस शतक (विक्रमी 18वीं शतो) में 'नयनशेखर' ने सं. 1736 में 'योगरत्नाकर' चोपई रचकर पूर्ण की। नयनशेखर श्वेतांबर जैन-परम्परा की आंचल (मंचल) गच्छ की पालीताणी शाखा के ज्ञानशेखर के शिष्य थे। विजयचंद उपाध्याय द्वारा जिस विधिपक्षगच्छ की स्थापना की गई थी, उसी का नाम 1166 ई. में कुमारपाल के काल में आंचलगच्छ हुआ। इस गच्छ में अमरसागरसूरि नामक मुनि बहु-सम्मानित युगप्रधान विरुदधारी और राज्य-सम्मान-प्राप्त हुए। उन्होंने पालिताचार्य के नाम पर पालीताणी शाखा चलाई । ग्रंथ के अन्त में नयनशेखर ने अमरसागरसूरि का परिचय इस प्रकार दिया है - 'श्री अंचलगच्छि' गिरुआ गच्छपती, महा मुनीसर मोटा यती । श्री 'अमरसागर सूरीसर' जांण, तप तेजई करि जीपई भाण ॥92।। सुविहित गच्छतणा सिणगार, जीणंई जीत्यु काम विकार । मोहराय मनाव्यो हारि, कषाय दूरंई कीधा चार ।।93।। आचार्यना गुण छत्रीस, तिणि करि सोहई विसवावीस । युगप्रधान विरुद जेहनई, राय 'राणा' मानई तेहनई ।।9411 तास तणई पषि शाखा घणी, एक एक मांहि अधिकी भणी । पंच महाव्रत पालई सार, इसा अछई जेहना अणगार ।।94।। । मो. द. देसाई, जनसाहित्यनो संक्षिप्त इतिहास, (गुजराती, 1933) पृ. 669 [ 129 ]
SR No.022687
Book TitleJain Aayurved Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendraprakash Bhatnagar
PublisherSurya Prakashan Samsthan
Publication Year1984
Total Pages196
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy