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________________ अध्याय-1 विषय-प्रवेश 1 जैन धर्म भौगोलिक एवं ऐतिहासिक विचार : जैन-धर्म अत्यंत प्राचीन और पारंपरिक है । जैन-पुराणों में भारत के भौगोलिक और प्राचीन ऐतिहासिक विवरण मिलते हैं। भारत को 'जम्बूद्वीप' के दक्षिण में स्थित बताया गया है। इसके उत्तर में 'हिमवान्' (हिमालय) पर्वत और मध्य में 'विजयाद्ध' (विंध्य) पर्वत है। हिमवान् से निकलकर सिन्धु नदी पश्चिम में तथा गंगा नदी पूर्व में बहती है, जिससे उत्तरी भारत के तीन विभाग-पूर्व, मध्य और पश्चिमबन गये हैं। इसी प्रकार दक्षिण भारत के भी तीन विभाग हैं-पूर्व, मध्य और पश्चिम । ये भारत के छः खंड हैं, जिन पर विजय पाकर कोई राजा 'चक्रवर्ती' की उपाधि ग्रहण करता था। जैन-पुराणों में यहां के प्राचीन इतिहास को सामाजिक व्यवस्था की दृष्टि से दो भागों में विभाजित किया है-प्रथम ‘भोग-भूमि-व्यवस्था' में ग्राम व नगर अस्तित्व में नहीं आये थे, कुटुम्ब का रूप भी नहीं बन पाया था। मनुष्य खाने-पीने, औढनेबिछाने का सब काम वृक्षों से संपादित करता था, अतः वृक्षों को 'कल्प वृक्ष' कहा जाता है (सब इच्छाओं को पूर्ण करने वाला वृक्ष)। धर्म-भावना प्रादुर्भूत नहीं हुई थी। सर्वत्र घने वन थे और उनमें हिंस्र जीवों की बहुलता थी। शनैः शनैः नागरिक सभ्यता का विकास हुआ और द्वितीय 'कर्मभूमि-व्यवस्था' प्रारंभ हुई। इसमें नागरिक सभ्यता बनी । कृषि, पशुपालन, वाणिज्य, उद्योग धंधे, शिल्प आदि अस्तित्व में आये। यह विकास, जैन पुराणों के अनुसार पंद्रह महापुरुषों द्वारा लाया गया, इन्हें 'कुलकर' या 'मनु' कहते हैं। इन महापुरुषों के बाद धर्माचरण व सदाचार की शिक्षा देने के लिए 63 महापुरुष उत्पन्न हुए, इन्हें 'शलाकापुरुष' (गणनीय पुरुष) कहा जाता है। ये निम्न हैं। 24 तीर्थकर-1 ऋषभदेव, 2 अजितनाथ, 3 संभवनाथ, 4 अभिनंदन, 5 सुमति, 6 पद्मप्रभ, 7 सुपार्श्व, 8 चंद्रप्रभ, 9 पुष्पदंत, 10 शीतल, 11 श्रेयांस, 12 वासुपूज्य, 13 विमल, 4 अनंत, 15 धर्म, 16 शांतिनाथ, 17 कुन्थु, 18 अरह, 19 मल्लि, 20 मुनिसुव्रत, 21 नमि, 22 नेमि, 23 पार्श्वनोथ, 24 वर्धमान या महावीर । 1 डॉ. हीरालाल जैन, भारतीय संस्कृति में जैनधर्म का योगदान. ( भोपाल, 1962 ), पृ. 9-10 । [ 1 ]
SR No.022687
Book TitleJain Aayurved Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendraprakash Bhatnagar
PublisherSurya Prakashan Samsthan
Publication Year1984
Total Pages196
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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