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________________ भाचीन जैन इतिहास। ८५ यको दिया । दशरथने दर्भस्थलके राजा कौशलकी पुत्री कौशल्या और कमलशंकुल नगरके राना सुबंधुकी पुत्री सुमित्रा और महारान नामक राजाकी पुत्री सुप्रभासे विवाह किया। (२) दशरथ बड़े धर्मात्मा थे । उन्होंने अपनी माताके बन. चाये मंदिरोंका जीर्णोद्धार कराया । दशरथको सम्यग्दर्शन हो गया था । दशरथने नवीन मंदिर भी बहुतसे बनवाये थे। (३) एक दिन नारदने आकर दशरथसे कहा कि रावणसे किसी निमित्तज्ञानीने कहा है कि दशरथ और जनककी संतानके द्वारा रावणका मरण होगा। इस पर विभीषणने आप दोनोंको ( दशरथ और जनकको ) मारनेका प्रण किया है । इस पर इन दोनों राजाओंको नारदने राज्यसे निकल जानेकी सलाह दी और मंत्रियोंने अपने २ राजाओंके पुतले इस प्रकारके बनवाये जो इन्हींके रूप-रंगके थे । तथा उनमें शारीरिक कोमलता थी; और कृतिम रक्त भी था। उन पुतलोंको महलों में रख कर यह प्रसिद्ध कर दिया कि महाराज बीमार हैं । रावणके दूत राजाओंकी बीमारीका वृत्तांत ले कर विभिषणके पास आये । विभीषणने आकर दोनों पुतलोंका सिर काट समुद्रमें डाला । और रावणके मारे जानेके मयसे निश्चिन्त हो गया। परन्तु पीछे इस घोर पापका विचार कर पश्चात्ताप किया और आगेसे ऐसा कुकर्म न करनेकी प्रतिज्ञा की। (४) दशरथ और जनक घूमते २ कौतुकमंगल नगर पहुंचे। वहांके राजा शुभमति और रानी पृथुश्रीकी पुत्री कैकयीका स्वयंवर हो रहा था । कैकयी बड़ी विदुषी कन्या थी। नाट्यशास्त्र, युद्धशास्त्र, सङ्गीतशास्त्र, षड्दर्शन
SR No.022684
Book TitlePrachin Jain Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurajmal Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1923
Total Pages182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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