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________________ शुद्धिपत्र । अशुद्धि कपिलोपुर धारण कर शुद्धि कपिलापुर धारण की। इसके इनके ९ ११ ૧૨ १० ० सप्तको ० ० राजा अयोध्यामें सिंहसेन राजा सिंहसेन . उत्पत्ति हुई प्राप्ति हुई परिशिष्ट 'क' परिशिष्ट 'क' से इस इससे लौकांकित लोकांतिक चलानेसे चलनेसे लिखे हैं लिखा है सुशीलचन्द्र खुशालचन्द्र सप्तमीको सहवाम्न सहस्त्राम्र भगवान्के भगवान् श्रावक श्राविका रहकर राज्य रहकर फिर राज्य आपके आपको शरद ऋतु शरद ऋतुके उत्पत्ति हुई प्राप्ति हुई उसका राजाके राजाओंके रक्षिता रक्षित छनवे हजार विभंगी विभंगा भी आर्यकारी अधिकारी पद्मावतीके गर्भसे मिती पद्मावतीके मिती देवियो देवियां . AY १५ उसे छनवे थी ७२ १०
SR No.022684
Book TitlePrachin Jain Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurajmal Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1923
Total Pages182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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