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________________ .. दूसरा भाग, सुभौमके जन्मादिका उसे पता मिला तब वह स्वयं हस्तिनापुरमें तापसके आश्रममें आया और सुभौमको शस्त्र शीलनमें निपुण जानकर जो कुछ के वलीके द्वारा जाना था सो सब कहा तब मेघनाथके साथ सुभौम परशुरामके यहां गया वहां इसे भोजनशालाके आर्यकारी जब भोजन कराने लगे तब क्षत्रियोंके दांत खोरके समान हो गये। बस शत्रुके आनेके समाचार परशुरामको भेजे गये और परशुराम फरसा लेकर मारने आये । इधर जिस थालीमें चक्रवर्ति भोजन कर रहे थे वह थाली चक्रके समान होगई और उसके द्वारा सुभौमने परशुरामको मारा । और इकवीसवार ब्राह्मणों को मारा । हरिवंशपुराणमें गजरत्नकी व सुभौमके मरनेकी उक्त कथाका उल्लेख नहीं पाया जाता। पाठ १४. प्रतिनारायण-निशुंभ, बलदेव नंदिषेण, नारायण पुंडरीक। (छठवें प्रतिनारायण, बलदेव और नारायण ) (१) नारायण पुंडरीक और बलदेव नंदिषेण तुभौम चक्रवर्तिके छह अर्व वर्ष बाद उत्पन्न हुए । . (२) नारायण और बलदेब इक्ष्वाकुवंशी चक्रपुरके महाराज वरसेनके पुत्र थे । बलदेवकी माताका नाम वैजयंती था और नारायणकी माताका नाम लक्ष्मीवती था। (३) नारायणकी आयु साठ हजार वर्षकी थी और शरीर अट्ठावीस धनुषका था ।
SR No.022684
Book TitlePrachin Jain Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurajmal Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1923
Total Pages182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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