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________________ प्राचीन जैन इतिहास । २५ दोनों बड़े बलवान् थे । जमदग्निके इस प्रकार विवाह पर उतारू हो जानेसे सौधर्मने तापसियोंके तपकी अशुद्धता अपने मित्रको बतलाई कि इन तापसियोंका मन कितना अस्थिर रहता है । जमदग्निने इस प्रकारके तापसियोंके विवाहको प्रवृत्ति धर्म कहकर प्रख्यात किया । (६) जमदग्निकी स्त्री रेणुमतीके बड़े भाई अरिंजय मुनि एक वार रेणुमतीके यहां आये और उसे सम्यक्त अंगीकार कराया और सर्व इच्छित फल देनेवाली एक धेनु (गौ) और एक फरसा (शस्त्र विशेष) रेणुमतीको दिया । ____(७) राजा सहस्रबाहु और उसके पुत्र कृतवीर्य एक वार जमदग्निके यहां आये और उस धेनुसे प्राप्त पदार्थोका भोजन किया । तब कृतवीर्यने उस धेनुको मांगा । पर रेणुमती देनेको तैयार नहीं हुई । तब कृतवीर्य बलपूर्वक उसे छुड़ाकर ले गया । और जमदग्निको मार डाला। (८) जमदग्निके-पुत्र परशुराम और स्वेतरामने घर आनेपर जब पिताके मारनेके समाचार सुने तो क्रोधित होकर वे दौड़ कर गये और मार्ग में ही सहस्रबाहु और उसके पुत्र कृतवीर्यको मारा । और फिर इकवीस वार पृथ्वी परसे क्षत्रियोंको निःशेष किया । (९) इसी परशुरामके भयसे सहस्रबाहुकी गर्भवती रानी चित्रमतीको उसके बड़े भाई सांडिल्यने वनमें रखा जिसके गर्भसे चक्रवर्ति सुमौम उत्पन्न हुए। (१०) एक वार निमित्त ज्ञानीके यह कहने पर कि तुम्हारा शत्रु उत्पन्न हो गया है और उसकी परीक्षा यह है कि जिसके आगे तुम्हारे मारे हुए राजाके दांत भोजनके पदार्थ हो जावे वही
SR No.022684
Book TitlePrachin Jain Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurajmal Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1923
Total Pages182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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