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________________ १३.६ दूसरा भाग । रत्नरथसे युद्ध करनेको उद्यत हुए। दोनोंमें युद्ध हुआ । राम, लक्ष्मणकी विजय हुई | तब मनोरमा ( रत्नस्थकी कन्या) लक्ष्मणके पास आई । इसे देख लक्ष्मणका क्रोध शांत हुआ । रत्नरथ भी अपने पुत्रों सहित राम, लक्ष्मणके पांवों पड़े । नारदसे क्षमा मांगी । मनोरमा के साथ लक्ष्मणका और श्रीदामा के साथ रामका रत्नरथने विवाह किया । (१४) इसके बाद राम, लक्ष्मणने विद्याधरोंकी दक्षिण श्रेणीको जीता । दक्षिण श्रेणीकी मुख्य राजधानियां इस प्रकार थीं: - रविप्रभ, धनप्रभ, काञ्चनप्रभ, मेघपभ, शिवमंदिर, गंधर्वजीत, अमृतपुर, लक्ष्मीधरप्रभ, किन्नरपुर, मेघकूट, मत्ये नीत, चक्रपुर, रथनूपुर, बहुरव, श्रीमलय, श्रीगृह, अरिज्जय, भास्करप्रभ ज्योतिषपुर, चंद्रपुर, गंधार, मलय, सिंहपुर, श्रीविजयपुर, भद्रपुर, यक्षपुर, तिलक, स्थानक इत्यादि राजधानियां राम लक्ष्मणने वशमें की । (१५) लक्ष्मण की सोलह हजार रानियां और आठ पट्टरानियां थीं । पटरानियोंके नाम इस प्रकार हैं: १ विशल्या, २ रूपवती, ३ वनमाला, ४ कल्याणमाला, ५ रतिमाला ६ जिनपद्मा, ७ भगवती, और ८ मनोरमा । रामकी स्त्रियोंकी संख्या आठ हजार थी । और पट्टरानियां चार 1 थीं । प्रथम सीता, दूसरी प्रभावती, तीसरी रतिप्रभा, और चौथी श्रीदामा | (१६) लक्ष्मणके पुत्रोंकी संख्या २५० थी । उनमें से कुछेक के नाम इस प्रकार हैं: - वृषभधरण, चन्द्रशरभ, मकरध्वज, हरिनाग,
SR No.022684
Book TitlePrachin Jain Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurajmal Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1923
Total Pages182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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