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________________ आर्थिक जीवन ७९ १९०. बृहत्कल्पभाष्य, गा. १९६९ १९१. 'ताम्रमयं वा जं णाणगं क्वहरति' -नि.चू., ३.३०७० १९२. वही, पीठिका गा. ७२१ १९३. उत्तराध्ययन टीका ७.११, पृ. ११८१ यह एक बहुत छोटा ताँबे का सिक्का होता था जो ताँबे के कार्षापण का चौथाई होता था। देखिये अर्थशास्त्र, २.१४-३२.८ पृ. १९४ १९४. नि.चू., ३.पृ. ११ १९५. यह ग्रीस का एक सिक्का था जिसे ग्रीक भाषा में द्रच्म कहा गया है। १९६. ई. सन् की प्रथम शताब्दी में, कुषाणकाल में रोम के डेनिरियस नाम के सिक्के से यह लिया गया है। १९७. निशीथभाष्य, १३.४३१५। सिक्कों पर मोरछाप का आरम्भ कुमारगुप्त से होता है। उसके बाद स्कन्दगुप्त और भानुगुप्त के सिक्कों में भी मोर का चलन रहा। १९८. बृहत्कल्पसूत्रभाष्य, वृत्ति, पृ. ५७४, निशीथचूर्णि ३, पृ. १११ १९९. डॉ. लल्लन जी गोपाल -एकोनामिक लाइफ आफ नार्दर्न इण्डिया, पृ. २०९ दिल्ली, पटना, वाराणसी, १९६५
SR No.022680
Book TitleBruhat Kalpsutra Bhashya Ek Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrapratap Sinh
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2009
Total Pages146
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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