SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 108
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ धार्मिक जीवन भिक्षा के लिए अपने उपाश्रय से बहुत दूर जाने का विधान नहीं था। 'बृहत्कल्पभाष्य'१४ के अनुसार भिक्षुणी एक कोस सहित एक योजन का अवग्रह करके रह सकती थी अर्थात् २.५ कोस जाना और २.५ कोस लौटना इस प्रकार पाँच कोस आ-जा सकती थी। विशेष परिस्थितियों को छोड़ भिक्षु और भिक्षुणियों को ताड़, नारियल, लौकी, कैथ, आंवला और आम्र के फलों को ग्रहण करने का निषेध था।१५ उन्हें रात्रि में अशन-पान आदि ग्रहण करना अकल्प्य था।६ इसी तरह उन्हें परिवासित (रात्रि में रखा हुआ) आहार, आलेपन, तेल आदि भी ग्रहण न करने का विधान किया गया है।१७ 'बृहत्कल्पभाष्य' में पुलाक प्रकार के भोजन का उल्लेख करते हुए साध्वियों को निर्देश दिया गया है कि जिस दिन उन्हें इस प्रकार का भारी एवं गरिष्ठ भोजन प्राप्त हो तो वे गोचरी के लिए दुबारा न जाय।१८ वस्त्र 'बृहत्कल्पसूत्र' में जैन भिक्षु-भिक्षुणियों को निम्न पाँच प्रकार के वस्त्रों को धारण करने का विधान था।२९ १. जागिक- भेड़ आदि के ऊन से निर्मित वस्त्र। २. भांगिक- अलसी आदि के छाल से निर्मित वस्त्र। ३. सानक- सन (जूट) से निर्मित वस्त्र। ४. पोतक- कपास से निर्मित वस्त्र। ५. तिरीट (तिमिर) वृक्ष की छाल से निर्मित वस्त्र। चमड़े से निर्मित वस्त्र को धारण करना चाहे वह रोमयुक्त हो या रोमहीन, भिक्षु-भिक्षुणियों दोनों के लिए निषिद्ध था।२० यद्यपि कुछ विशेष परिस्थितियों में भिक्षु को इसको धारण करने की अनुमति दी गयी है।२१ आचारांग में भी भिक्षुणियों को चमड़े का वस्त्र धारण करने का निषेध किया गया है।२२ 'बृहत्कल्पभाष्यकार ने भिक्षुणियों के लिए निषेध का कारण बताते हुए कहा है कि चमड़े पर बैठने से भिक्षुणियों के मन में गृहस्थ-जीवन में उपयोग की गयी कोमल-शय्या की याद आ जायेगी, फलस्वरूप उनमें आचारिक शीथिलता का आ जाना सम्भव है।२३ 'बृहत्कल्पसूत्र'२४ में भिक्षुणी के गुप्तांग को ढंकने के लिए निम्न दो और वस्त्रों का उल्लेख है
SR No.022680
Book TitleBruhat Kalpsutra Bhashya Ek Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrapratap Sinh
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2009
Total Pages146
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy