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________________ राजनैतिक जीवन ३३. बृहत्कल्पभाष्य, गा. २६५५; व्यवहारभाष्य, ७.४४३ ३४. वसुदेवहिण्डी, १.२९५ ३५. न्यायकर्ता के सम्बन्ध में मृच्छकटिक ९, पृ. २५६ में कहा है शास्त्रज्ञः कपटानुसार कुशलो..... राज्ञश्च कोपापट्टः शास्त्रज्ञः कपटानुसारकुशलो वक्ता न च क्रोधनस्तुल्यो मित्रपरस्वकेषु चरितंदृष्टवैव दत्तोत्तरः। क्लीबान्पालयिता शठान्व्यथयिता धो न लोभान्वितो, द्वार्भावे परतत्ववद्धहृदयो राज्ञश्च कोपापट्टः।। ३६. मनुस्मृति, ८.४-७.१ ३७. बृहत्कल्पभाष्य, भाग-५, गा. ४९२३-२५ ३८. बृहत्कल्पभाष्य, भाग-४, गा. ३९०३ आदि और भाग-६, गा. ६२७५ बौद्ध जातकों में ऐसे चोरों का उल्लेख है जो चोरी का धन गरीबों में बाँट देते और लोगों का कर्ज चुका देते। पेसनक (प्रेषणक संदेशा भेजने वाले) चौर पिता-पुत्र दोनों को बन्दी बनाकर रखते, तथा पिता से धन प्राप्त होने के पश्चात् ही पुत्र को छोड़ देते (पानीय जातक ४५९, पृ. ३१५)। उद्यान-पोषक चोर श्रावस्ती के उद्यान में घूमतेफिरते थे। उद्यान में किसी सोते हुए व्यक्ति को देखकर वे उसे ठोकर मारते। यदि ठोकर लगने पर वह सोया रहता तो वे उसे लूट लेते; दिव्यावदान, पृ. १७५; महावग्ग १.३३.९१,पृ. ७८ में ध्वजावद्ध चोरों का उल्लेख है। तथा देखिए बी.सी. लाहा, इण्डिया डिस्क्राइब्ड इन अर्ली टैक्स्ट्स ऑव बुद्धिज्म एण्ड जैनिज्म, पृ. १७२ इत्यादि। ३९. बृहत्कल्पभाष्य, गा. २७७५ ४०. व्य. हा. भा., पृ. ७१; निशीथचूर्णि पीठिका,पृ. ९० ४१. उत्तराध्ययनचूर्णि पृ. १७४ ४२. नि. भा., २.१३३५ ४३. पुरुषवध के लिए तलवार उठाने पर ८० हजार रुपये जुर्माना किया जाता, प्रहार करने पर मृत्यु न हो तो भिन्न-भिन्न देशों की प्रथा के अनुसार जुर्माना देना पड़ता, तथा यदि मृत्यु हो जाय तो भी हत्यारे को भी अस्सी हजार रुपयों का दण्ड भरना पड़ता; -बृहत्कल्पभाष्य, गा. ५१०४ ४४. बृहत्कल्पभाष्य, गा. ६२४४-४९ ४५. वही, गा. २४८९; तथा नि. भा., १६.५१३९ की चूर्णि
SR No.022680
Book TitleBruhat Kalpsutra Bhashya Ek Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrapratap Sinh
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2009
Total Pages146
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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