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________________ राजनैतिक जीवन ९१ तृणकर, पलालकर (पुवाल), बुसकर (भूसा), काष्ठकर, अंगारकर, सीताकर (हल पर लिया जाने वाला कर), उंबरकर (देहली अथवा प्रत्येक घर से लिया जाने वाला कर), जंघकर (अथवा जंगाकर - चारागाह पर लिया जाने वाला कर), अलीवर्दकर (बैल), घटकर, चर्मकर, चुल्लगकर (भोजन) और अपनी इच्छा से दिया जाने वाला कर था।८६ ये कर गाँवों में ही वसूल किये जाते थे,८७ नगर (न:कर) इनसे मुक्त रहते थे। कर वसूल करने वाले कर्मचारियों के सम्बन्ध में बृहत्कल्पभाष्य में कोई सामग्री उपलब्ध नहीं होती है।८८ राज्य कर की उगाही राजा को कर न देना अपराध था। बृहत्कल्पभाष्य में उल्लेख है कि सोपारक नगर के निगमों पर राजा द्वारा लगाये गये कर को न देने से क्रुद्ध राजा ने उन्हें मार डालने का दण्ड दिया था। व्यापार कर बृहत्कल्पभाष्य से ज्ञात होता है कि वस्तु के क्रय-विक्रय के भाव, मार्ग व्यय, यानवाहनों का व्यय और व्यापारी के भरण-पोषण के लिए पर्याप्त धन छोड़कर कर लगाया जाता था। कौटिल्य के अर्थशास्त्र से ज्ञात होता है कि तौलकर बिकने वाली वस्तुओं पर १/२० गिनकर बेची जाने वाली वस्तुओं पर १/११ और नापकर बेची जाने वाली वस्तुओं पर १/१६ शुल्क लगता था।९१ इस प्रकार यह ग्रन्थ तत्कालीन राजनीतिक परिस्थितियों- जिसमें राजाओं के अधिकार और उनके कर्तव्य, शासनव्यवस्था देश एवं राज्य की सुरक्षा तथा राजस्व प्राप्ति के उपायों का यथास्थान वर्णन किया गया है। सन्दर्भ १. बृहत्कल्पभाष्य, गा. २७५९-६४ २. वही, गा. ९४० ३. महाभारत, ३.१३.७ ४. बृ.क.सू.भा., ४९६२-६४, तथा व्यवहार भाष्य, १५५२, जगदीश चन्द्र जैन, जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज, पृ. ४७ बृहत्कल्पभाष्य, गा. ३७६०-७१; तुलना कीजिए। सानुवाद व्यवहारभाष्य, संपा. मुनि दुलहराज जै.वि.भा., २००४, १८९५-९६, पृ. ४०
SR No.022680
Book TitleBruhat Kalpsutra Bhashya Ek Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrapratap Sinh
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2009
Total Pages146
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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