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________________ (१०) स्थान में देना, इसलिए बताओ कि सुंदर अच्छे कुल में उत्पन्न कौन पुरुष इसके योग्य है ? मतिसागर ने कहा, देव ? आप ी इस विषय में उचित जानते हैं तब राजा ने कहा कि मेरे विचार से तो स्वयंवर किया जाए, सभी राजाओं को आमंत्रित किया जाए जिससे यह अपने मनोऽनुकूलवर को वरे, मतिसागर ने कहा, जैसी आज्ञा, किंतु अभी स्वयंवर करना मझे तो उचित नहीं लगता है, जब सब राजा लोग एक राजा के वश में हों तो स्वयंवर करना ठीक है क्यों कि किसी एक राजा को वरण किए जाने पर शेष राजाओं को वह रोकता है, अभी तो सभी राजा अहमिंद्र अर्थात् निरंकुश हैं, अतः एक को वरने पर सभी उसके शत्रु हो जाएँगे अत: राजन् ? स्वयंवर अनर्थ का कारण है, तब राजा ने कहा कि कमलावती किस को दी जाए ? जिस किसी राजा को दे देना तो ठीक नहीं है, उसीको कमलावती देना चाहता हूँ जिसको देने से यह सुखी रहे, इस प्रकार मंत्री के साथ राजा की बात चल रही थी इतने में द्वारपाल प्रणाम करते हुए कहता है, देव ? अष्टांग निमित्त जाननेवाला भूत भविष्य को बतलानेवाला सुमति नाम का ज्यौतिषी आपका दर्शन करने के लिए आया है, द्वार पर खड़ा है, राजा ने उसे शीघ्र ले आने के लिए कहा इसके बाद निर्मल श्वेत वस्त्रों से सु-सज्जित गोरोचना तिलक लगाए वह ज्यौतिषी राजा के सामने आया और आशीर्वाद देते हुए दूर्वाअक्षत आदि से राजा का मंगल करके उचित आसन पर बैठ गया, राजा ने विश्वास के लिए भूतकालिक घटनाओं के विषय में पूछा। उसने प्रत्यक्ष की तरह सब बातें बतलाईं, तब प्रसन्न होकर राजा ने कहा, हे सुमति ? मेरी बहन कमलावती का मनवल्लभपति कौन होगा? उसने निमित्त देखकर इस प्रकार कहा राजन् ।
SR No.022679
Book TitleSursundari Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanuchandravijay
PublisherYashendu Prakashan
Publication Year1970
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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