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________________ (५) हैं, प्रतिदिन बहती हुई नालियों के प्रभाव से जहाँ के उद्यान अत्यंत रमणीय हैं, पुर नगर तथा गाँवों से जो भरा है, जहाँ के लोग अत्यंत समृद्धिशाली हैं अनेक उत्सवों को मनाते हुए जहाँ का जनसमुदाय अत्यंत प्रसन्न है, भय, उपद्रव आदि से रहित अत्यंत सुंदर कुरु नाम का देश है । जहाँ के मार्ग सार्थवाहों की बस्तियों से पूरित रहते थे, गुणों के भवन रूप उस देश में एक बड़े आश्चर्य की बात थी कि वहाँ के लोग श्रोत्र (कान) रहित होने पर भी अपनी प्रशंसा को सुनते थे अर्थात् वहाँ के लोग शोक रहित थे, जहाँ के वृद्ध लोग अथवा श्रीमंत लोग कर (हाथ-टैक्स) रहित और जहाँ के मुनिजन धर्म (धनुष-पुण्य) रहित हैं उस देश का वर्णन करने में उद्यम कौन करेगा? उस देश में शत्रुओं से अलंघनीय घूमते हुए मकरोंवाली समुद्रसमान परिखा (खाई) से वेष्टित, शत्रुओं को भय देनेवाले विशाल प्राकार से रम्य, सुंदर मगर तोरण से अंकित नगर द्वारों से युक्त, आस-पास के अत्यंत हरे-भरे उद्यानों से सुशोभित, प्रांगण झरोखेवाले बर्फ के समान स्वच्छ, नगरवासी लोगों के यशस्तूप समान बड़े-बड़े प्रासादों से अत्यंत रम्य हस्तिनापुर नाम का एक नगर है, अन्य देशों से आए हुए व्यापारियों के साथ व्यापार करने में वहाँ के व्यापार बड़े कुशल हैं, उस नगर में व्यापार करने लायक अनेकों प्रकार बहुमूल्य किरानों से भरे सैकड़ों बाज़ार हैं, वह नगर ऊँची स्वच्छ ध्वजाओं से सुशोभित मंदिरों से अत्यंत रमणीय हैं, वह नगर सफेद कमल के समुदाय से सुशोभित अनेक विशाल सरोवरों से तथा सीढ़ियों द्वारा सरलता से उतरने योग्य हज़ारों बावड़ियों से युक्त है, श्रेष्ठ तीन-चार तरफ जानेवाले मार्गों से तथा चौक आदि से वह नगर अत्यंत रमणीय है,
SR No.022679
Book TitleSursundari Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanuchandravijay
PublisherYashendu Prakashan
Publication Year1970
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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