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________________ संमूर्च्छिम मनुष्य : आगमिक और पारंपरिक सत्य संमूर्च्छिम मनुष्य : आगमिक और पारंपरिक सत्य संमूर्च्छिम मनुष्य विषयक परंपरा को पुष्टिदायक ऐसे आगमिक और तार्किक सबूतों से समृद्ध... साथ में, संमूर्च्छिम मनुष्य विषयक परंपरा के प्रति प्रश्नार्थचिह्न उपस्थित करने वाले तर्क एवं सबूतों की दृष्टांत - तर्क सहित रसपूर्ण समालोचना... आवृत्ति प्रथम विक्रम संवत २०७३ : : वीर संवत : २५४३ टाइप सेटींग : श्री दिगेशभाई वी. शाह, मो. ९४२७३१७५२९ मुद्रक : शिवकृपा ओफसेट, अहमदाबाद. 2 ( यह पुस्तिका ज्ञाननिधि में से छपी है । अत: ज्ञाननिधि में ₹५०/- भर के गृहस्थ यह पुस्तक ले सकते हैं ।) 8 प्राप्तिस्थान २ श्री दिव्यदर्शन ट्रस्ट ३९, कलिकुंड सोसायटी, मफलीपुर चार रस्ता, धोलका ३८७८१० (जि. अहमदाबाद) फोन : (०२७१४) २२५४८१, २२५७३८, २२५९८१. मनोवत्स युक्तिगवीं मध्यस्थस्याऽनुधावति । मूल्य : तामाकर्षति पुच्छेन तुच्छाग्रहमनः कपिः ॥ सत्यनिष्ठा परंपरानिष्ठा आगमनिष्ठा युक्ति जहाँ सहजतया बहती हो उसका अनुसरण करना वह माध्यस्थ्य का चिह्न है । आगमश्चोपपत्तिश्च सम्पूर्णं दृष्टिलक्षणम् । अतीन्द्रियाणामर्थानां सद्भावप्रतिपत्तये ।। अतीन्द्रिय पदार्थों की वास्तविक प्रतिपत्ति के लिए संपूर्ण दृष्टि का विकास आवश्यक ।
SR No.022666
Book TitleSamurchhim Manushuya Agamik Aur Paramparik Satya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashovijaysuri, Jaysundarsuri
PublisherDivyadarshan Trust
Publication Year
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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