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________________ त्रिस्तुतिक मत समीक्षा प्रश्नोत्तरी ४. आम राजा के प्रतिबोधक महाप्रभावक पू.आ.भ.श्री बप्पभट्टसूरिजी महाराजाने २४ तीर्थंकर परमात्मा की एक थोय के साथ तीन थोय रची हैं। इसमें एक सर्वजिन की, एक श्रुतज्ञान की, एक शासन देवता की । इस प्रकार ९६ थोय रची हैं । उनका भी विरोध होगा । (उनका जन्म वि.सं.८०२में हुआ था।) ५. प.पू.आ.भ.श्री जिनेन्द्रसूरिजी म. के शिष्य तथा नवांगी वृत्तिकार श्रीअभयदेवसूरिजी के गुरुभाई श्रीशोभनमुनि ने शोभन स्तुति में चौबीस जिनके सम्बन्ध से चौबीश जोड़े=९६ थोय की रचना की है। इससे यह फलित होता है कि, नवांगी वृत्तिकार श्री अभयदेवसूरिजी तथा उनके गुरुश्री जिनेन्द्रसूरिजी गुरु प्रमुख गुरु परम्परा से सभी चार थोय मानते थे। यदि चार थोय नहीं मानते थे, ऐसा कोई कहे, तो उनके शिष्य तथा गुरु भाईने क्यों चौथी थोय की रचना की होगी? ६. श्री उत्तारध्ययन सूत्र के बृहवृत्तिकार पू.आ.भ.श्रीशांतिसूरिजी महाराजा ने संघाचार चैत्यवंदन महाभाष्यमें चार थोय कही हैं । (उनका विरोध होगा।) ७. क्रियोद्धार के कर्ता, तपस्वी, महाप्रभावक, राणा की सभामें ३३ क्षपणकाचार्यों को वादमें जीतनेवाले 'तपा' के उपमाधारी पू.आ.भ.श्री जगत्चंदसूरिजी महाराजाके शिष्य परम संवेगी ज्ञान भास्कर, पू.आ.भ.श्रीदेवेन्द्रसूरिजीने लघुभाष्यमें (देववंदन भाष्य में ) चार थोय कही हैं। ८. श्री बृहद्गच्छैकमंडन पू.आ.भ.श्री मुनिचंद्रसूरिजीने ललितविस्तरा पंजिका में तथा उनेक शिष्य पू.आ.भ.श्रीवादिदेवसूरिजीने यतिदिनचर्या में चार थोय कही हैं। ९. नवांगी वृत्तिकार श्रीअभयदेवसूरिजी के शिष्य श्रीजिनवल्लभसूरिजीने सामाचारी में चार थोय कही हैं।
SR No.022665
Book TitleTristutik Mat Samiksha Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSanyamkirtivijay
PublisherNareshbhai Navsariwale
Publication Year
Total Pages202
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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