SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 93
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ से अंगीकार की हुई वेश्या अनंगसेना ने उसके साथ विवाह कर लिया इस प्रकार मदालसा, तिलोत्तमा, अनंगसेना और सहस्त्रकला इन चारों की चतुर चौकड़ी उत्तमकुमार के अन्तःपुर में निवास करती थी । वह इन चार चतुराओं के साथ रहता हुआ चतुर नायक उत्तमकुमार सांसारिक सुखों का भली भाँति उपयोग करता था । इस पर भी अपने धर्म का खास तौर से पालन करता था । अर्थात् धर्म, अर्थ और काम इन तीनों का रात दिन अच्छी तरह सम्पादन करता था । उत्तमकुमार की दिनचर्या नियमित थी । वह नित्य, आवश्यक क्रिया से निवृत्त होकर जिन पूजा करता और शुद्ध अन्तःकरण से गुरुभक्ति करता था । उसकी चारों पत्नियाँ पति सेवा में तत्पर रहा करतीं और श्राविकाधर्म के अनुकूल चलकर अपने स्त्री जीवन को सफल करती थी । कई बार वह धर्मवीर कुमार अपनी चारों पत्नियों को धर्म कथाएँ सुनाया करता था । कई बार ये चारों, रानियाँ जैन सती मण्डल के गीत गाकर उत्तमकुमार के हृदय को प्रसन्न करती थीं । कभी-कभी वे तरह-तरह की गूढ़ पहेलियाँ आपस में पूछ कर साहित्य- -सुधा का पान करती थीं । समय समय पर शृङ्गार, नीति और वैराग्य पर वाद-विवाद करके यह पत्निमण्डल आनन्द का अनुभव किया करता था और कभी पवित्रता के पोषक वैराग्य रस का अनुपम आश्वादन करके वे सब उत्तम भावनाओं को हृदयंगम करते थे । यद्यपि चारों रमणियाँ अलग-अलग जाति - कुल और स्वभाव की थीं, तथापि जैसे भिन्न भिन्न नदियों का प्रवाह समुद्र को अनुकूल होता है उसी तरह उनका स्वभाव उत्तमकुमार के लिए अनुकूल था । उन सभी में तिलोत्तमा को पटरानी का पद दिया गया था । परन्तु तिलोत्तमा अपने नम्र स्वभाव के कारण मदालसा का आदर खूब करती थी, और उसे ही महाराणी के रूप में मानती थी । अनङ्गसेना अपनी कला से राजकुमार का मन अपनी मुट्ठी में रखती थी, किन्तु अपनी दूसरी बहिनों से ईर्ष्या भाव नहीं करती थी । सहस्त्रकला, शान्त स्वभाव की होने के कारण सभी से बहिन का सा वर्ताव करती थी । इस तरह चारों 86
SR No.022663
Book TitleUttamkumar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendrasinh Jain, Jayanandvijay
PublisherGuru Ramchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages116
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy