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________________ कि मेरे इस घोड़े को क्या हुआ ? यह चलता क्यों नहीं ? अचानक इसकी गति मन्द क्यो हो गयी ?" उत्तमकुमार ने उस घोड़े को अच्छी तरह देख भाल कर कहा 'श्रीमान् ! मुझे मालूम होता है कि, इस घोड़े ने भैंस का दूध पीया है, इसी कारण इसकी चाल मन्द हो गयी है। भैंस का दूध वात उत्पन्न करने वाला है; उसके पीने से घोड़े की तेजी नष्ट हो जाती है । " 44 उत्तम कुमार की बात सुनकर राजा ने कहा "महाशय ! आपने कैसे जाना ? मैने अश्व - विद्या पढ़ी है ।" उत्तम कुमार ने नम्रता पूर्वक उत्तर दिया । यह सुनकर राजा बहुत प्रसन्न हुआ और कहने लगा- "यह बिलकुल सत्य है । यह घोड़ा जब पैदा हुआ था, तब कुछ दिन बाद इसकी माता के मर जाने पर इसे भैंस का दूध पिलाकर ही पाला-पोसा गया था । मैं आपकी कला और गुणों को देखकर बड़ा ही संतुष्ट हूँ, क्या आप मुझे यह बतलाने की कृपा करेंगे कि, आप कौन हैं, और किसलिए वन में घूम रहे है ?" राजकुमार ने कहा - "महानुभाव ! में अपना विशेष वृत्तांत फिर कभी समय पाकर निवेदन करूँगा । इस समय तो केवल इतना ही बताना उचित समझता हूँ कि मैं एक राजकुमार हूँ और देशाटन की इच्छा से घूम रहा हूँ । "राजकुमार " शब्द सुनते ही मेवाड़ पति को अत्यन्त आनन्द हुआ और अपने मन में सोचने लगा कि - "यह राजपुत्र वास्तव में गुणी है, और अपने गुणों के कारण राज्य का अधिकारी होने योग्य है। मुझे कोई सन्तान नहीं है अच्छा हो यदि इसे मैं अपने पुत्र रूप में मानकर राज्य भार सौंप दूँ। ऐसा होने पर मेरी मनोभिलाषा पूर्ण होगी, और मैं आत्म-साधन भी कर सकूँगा।" ऐसा विचारकर मेवाड़ - पति ने राजकुमार से कहा " वत्स ! आपकी कला और गुणों को देखकर मैं अत्यन्त प्रसन्न हुआ हूँ । अब मेरी आप से प्रार्थना है कि, यदि आप मेरी यह राज्य - लक्ष्मी ग्रहण करें तो मैं धर्म-दीक्षा लेकर आत्म-साधन के लिए गृहस्थाश्रम त्याग ने की इच्छा करता हूँ- मुझे पूर्ण आशा है कि आप मेरी प्रार्थना विफल न करेंगे ।" राजा की यह बात सुन उत्तमकुमार थोड़ी देर तक कुछ सोचते रहे - बाद में कहा 13
SR No.022663
Book TitleUttamkumar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendrasinh Jain, Jayanandvijay
PublisherGuru Ramchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages116
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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