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________________ 244 तिलकमंजरी, एक सांस्कृतिक अध्ययन वनलताएं समरकेतु के उत्तरीय को बार-बार खींचकर मानों पूर्णपान का आग्रह कर रही थी। हरिवाहन के जन्मोत्सव पर अन्तः पुर की वारविलासिनीयां पूर्णपान ग्रहण करने के लिए राजा के पास गयीं। वन-विधि- किसी शोक-समाचार के मिलने पर स्त्रियां सिर तथा वक्षः स्थल को हाथ से पीट-पीट कर रोती थीं। मलयसुन्दरी द्वारा अशोक वृक्ष से फंदा लगाकर लटक जाने पर बन्धुसुन्दरी दोनों हाथों से सिर तथा छाती पीट-पीट कर रोने लगी, जिससे उसकी अंगुलियों से रक्त बहने लगा तथा गले के हार के मोती आंसुओं के साथ-साथ टूट-टूट कर गिरने लगे। इसी प्रकार हरिवाहन का समाचार न मिलने पर स्त्रियां सिर पीट-पीट कर रोने लगी। शोक समाचार के श्रवण पर पुरुष सिर सहित समस्त शरीर को उत्तरीय से ढ़ककर विलाप करते थे । मदमत्त हाथी द्वारा हरिवाहन का अपहरण कर लिये जाने पर समरकेतु ने इसी प्रकार विलाप किया था ।... मात्महत्या के उपाय- असह्य दुःख से छुटकारा प्राप्त करने के लिए तिलकमंजरी में चार प्रकार से जीवन का अन्त करने का उल्लेख है । शस्त्र द्वारा विष द्वारा, वृक्ष की टहनी से फंदा लगाकर तथा प्रयोपवेशन कर्म द्वारा । मलयसुन्दरी ने तीन बार आत्महत्या करने का प्रयास किया था, किंपाक नामक विषला फल खाकर, समद्र में कदकर, तथा फंदा लगाकर । प्रायोपवेशन निराहार रहकर शरीर त्यागने को कहते थे। हर्षचरित में भी निराहार रहकर प्रायोपवेशन के द्वारा शरीर त्यागने वाले जैन साधुओं का उल्लेख किया गया है । यशस्तिलक में भी प्रायोपवेशन का उल्लेख है।' हर्षचरित में भृगु-पतन, काशी-करवट, करीषाग्नि-दहन तथा समुद्र में आत्मविलय इन चार उपायों का उल्लेख है। तिलकमंजरी में भी गन्धर्वक द्वारा 1. पूर्णपात्रसंभावनयेव वारंवारमवलम्ब्यमान.... वही, पृ. 231 2. वही, पृ. 76 3. तिलकमंजरी, पृ. 309, 193 4. वही, पृ. 190 5. शस्त्रेण वा विषेण वा वृक्षशाखोद्वन्धनेन वा प्रायोपवेशनकर्मणा वा जीवितं मुचति । -वही, पृ. 327 6. अग्रवाल वासुदेवशरण, हर्षचरितः एक सांस्कृतिक अध्ययन, पृ. 108 7. जैन, गोकुलचन्द्र, यशस्तिलक का सांस्कृतिक अध्ययन, पृ. 323 8. अग्रवाल वासुदेवशरण हर्षचरितः एक सांस्कृतिक अध्ययन, पृ. 107
SR No.022662
Book TitleTilakmanjari Ek Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpa Gupta
PublisherPublication Scheme
Publication Year1988
Total Pages266
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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