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________________ तीर्थङ्कर नेमिनाथ विषयक साहित्य द्वारा निर्धारित काल १४५०-१ में डूंगरपुर के संस्थापक तथा बागड (सागवाडा) बड साजन पद के भी संस्थापक थे । इन्होंने संस्कृत में २८ तथा ६ राजस्थानी भाषा में ग्रन्थ लिखे । १५. हरिवंशपुराण (ब्रह्मजिनदास) यह संस्कृत रचित पुराण काव्य २२ वें तीर्थङ्कर नेमिनाथ और श्रीकृष्ण के वंश में उत्पन्न व्यक्तियों पर लिखा गया है। रचयिता : रचनाकाल इसके रचयिता ब्रह्म जिनदास थे । ये संस्कृत के महान् विद्वान् और कवि थे । ये कुन्दकुन्दान्वयी सरस्वतीगच्छ के भट्टारक सकल कीर्ति के कनिष्ठ भ्राता और शिष्य थे । इनका समय वि० सं० १४५०-१५२५ (सन् १३९३-१४६८ ई०) है । १६. नेमिनाथ महाकाव्य (श्री कीर्तिराज उपाध्याय) ___काव्यात्मक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण कृति है । इसमें १२ सर्ग हैं जिसमें ७०३ पद्य हैं । सर्गों के निर्माण में विभिन्न छन्दों का प्रयोग किया गया है । भाषा, माधुर्य एवं प्रसादगुण युक्त है । यह काव्यरचना पूर्णरूप से भगवान् नेमिनाथ पर रचित है, जिसमें महाकाव्य के सभी गुण विद्यमान __इस काव्यरचना में पूर्व भवों का वर्णन एकदम छोड़ दिया है । प्रथम सर्ग में च्यवन कल्याणक, दूसरे सर्ग में प्रभात वर्णन, तीसरे सर्ग में जन्म कल्याणक, चतुर्थ सर्ग में दिक्कुमारियों का आगमन, पाँचवें सर्ग में मेरुवर्णन, छठे सर्ग में जन्मोत्सव, सातवें सर्ग में जन्मोत्सव आठवें सर्ग में षड्ऋतुओं का वर्णन, नवें सर्ग में कन्यालाभ, दशवें सर्ग में दीक्षा वर्णन, ग्यारहवें सर्ग में मोह संयम, युद्ध वर्णन तथा बारहवें सर्ग में जनार्दन का आगमन और उनके द्वारा स्तुति तथा नेमिनाथ का मोक्ष वर्णन दिया है । रचयिता : रचनाकाल काव्य के कर्ता का नाम श्री कीर्तिराज उपाध्याय है, जैसा कि काव्य में १२वें सर्ग से सूचित होता है । इनके समय के विषय में एक हस्त लिखित प्रति उपलब्ध है - "सं० १४९५ वर्षे श्री योगिनी पुरे (दिल्ली) लिखितमिदम् सम्भवतः यही या इससे पूर्व ही कवि का समय है । एक अनुमान है कि कवि खरतरगच्छ के थे । १७. नेमिनाथचरित (गुणविजयगणि) ____यह चरित ग्रन्थ संस्कृत पद्य के १३ विभागों में निर्मित है । ग्रन्थ ५२८५ श्लोक प्रमाण है।' इस चरित्रकाव्य में नेमिनाथ के पूर्व नव भवों का, नेमिनाथ और राजीमती का नव भवों १.जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग-६, पृ०-५१ ४.जैन साहित्य का बृहद् इतिहास भाग ६, पृ० ११६ २.तीर्थकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा, भाग-३, पृ०-३४० ५.वही, पृ० -११६ ३.जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग-६, पृ०-११६
SR No.022661
Book TitleNemi Nirvanam Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAniruddhakumar Sharma
PublisherSanmati Prakashan
Publication Year1998
Total Pages252
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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